Thursday, November 14, 2013

हिन्दू मंदिरों के संपत्ति की सरकारी लूट : एक तथ्य


हिन्दुओ के मंदिर और उनकी सम्पदाओ को नियंत्रित करने
के उद्देश से सन 1951 में एक कायदा बना –
“The Hindu Religious and Charitable Endowment Act 1951 “
इस कायदे के अंतर्गत राज्य
सरकारों को मंदिरों की मालमत्ता का पूर्ण नियंत्रण
प्राप्त है,जिसके अंतर्गत वे मंदिरों की जमीन ,धन
आदि मुल्यमान सामग्री को कभी भी कैसे भी बेच सकते
है ,और जैसे भी चाहे उसका उपयोग कर सकते है .
हिन्दुस्तान में हो रहे मंदिरों की संपत्ति के
सरकारी दुरुपयोग का रहस्योद्घाटन एक विदेशी लेखक
“स्टीफन नाप ” ने किया . उन्होंने इस विषय में एक पुस्तक
लिखी -”Crimes Against India and the Need to
Protect Ancient Vedic Tradition”
इस पुस्तक में उन्होंने अनेक धक्कादायक तथ्यों को उजागर
किया है .
हिन्दुस्तान में सदियों में अनेक धार्मिक राजाओ ने
हजारों मंदिरों का निर्माण किया , और श्रध्हलुओ ने इन
मंदिरों में यथाशक्ति दान देकर उन्हें संपन्न किया परन्तु
भारत की अनेक राज सरकारों ने श्रध्हलुओ की इस धन
का अर्थात मंदिरों की संपत्तियो का यथेच्छा शोषण
किया ,अनेक गैर हिंदू तत्वों के लिए इसका उपयोग किया .
इस घुसपैठी कानून के अंतर्गत श्रध्हलुओ
की संपत्ति का किस तरह खिलवाड़ हो रहा है
इसका विस्तृत वर्णन है -
मंदिर अधिकारिता अधिनियम के तहत आँध्रप्रदेश के
43000 मंदिरों के संपत्ति से केवल 18 % दान
मंदिरों को अपने खर्चो के लिए दिया गया और बचा हुआ
82 % कहा खर्च हुआ इसका कोई उल्लेख नहीं !
यहां तक कि विश्व प्रसिद्ध तिरूमाला तिरूपति मंदिर
भी बख्शा नहीं गया, हर साल दर्शनार्थियों के दान से
इस मंदिर में लगभग 1300 करोड रुपये आते है है जिसमे से
85 % सीधे राज्यसरकार के राजकोष में चले जाता है ,
क्या हिंदू दर्शनार्थी इसलिए इन मंदिरों में दान करते है
की उनका दान हिंदू-इतर तत्वों के काज करने में लगे?
स्टीफन एक और आरोप आंध्र प्रदेश सरकार पर करते है,
उनके अनुसार कमसे कम 10 मंदिरों को सरकारी आदेश पर
अपनी जमीन देनी पड़ी , …….गोल्फ के मैदानों को बनाने के
लिए !!!
स्टीफन नाप प्रश्न करते है “क्या हिन्दुस्तान में 10
मस्जिदों के साथ ऐसा होने की कल्पना की जा सकती है ?”
इसी प्रकार कर्णाटक में कुल 2 लाख मंदिरों से 79 करोड
रुपैय्या सरकार ने बटोरा जिसमे से केवल 7 करोड
रुपयों मंदिर कार्यकारिणियो को दिए गए .इसी दौरान
मदरसों और हज सब्सिडी के नाम पर 59 करोड खर्च हुआ
और चर्च जिर्नोध्हर के लिए 13 आख का अनुदान
दिया गया .
सरकार के इस कलुशीत कार्य पर टिपण्णी देते हुए स्टीफन
नाप लिखते है ” ये सब इसलिए घटित
होता रहा क्योंकि हिन्दुओ में इस के विरुद्ध खड़े रहने
की या आवाज उठाने की शक्ति /इच्छा नहीं थी “
इन तथ्यों को प्रकाशित करते हुए स्टीफन केरल के
गुरुवायुर मंदिर का उदहारण देते है ,
इस मंदिर के अनुदान से दूसरे 45 मंदिरों का जिर्निध्धर
करने की बात गुरुवायुर मंदिर कार्यकारिणी ने
रखी थी,जिसको ठुकराते हुए मंदिर
का सारा पैसा सरकारी प्रोजेक्ट पर खर्च किया गया !
इन सबसे ज्यादा कुकर्म ओरिसा सरकार के है जिसने
जगन्नाथ मंदिर की 7000 एकड़ जमीन बेचने निकाली है
जिस से सरकार को इतनी आमदनी होना संभव है की जिसके
उपयोग से वे अपने वित्तीय कुप्रबंधानो से हुए नुक्सान
को भर सके .
ये बरसो से अविरत होता आया है, इसका प्रकाशन न होने
की महत्वपूर्ण वजह है – “भारतीय
मिडिया की हिन्दुवीरोधी प्रवृत्ति”
भारतीय मिडिया (जिसमे अंग्रजीयात कूट कूट के भरी है )
इन तथ्यों को उजागर करने में किसी भी प्रकार
की रूचि नहीं रखती .अतएव ये सब
चलता रहता है …..अविरत ,बिना किसी रुकावट के !
इस धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रित देश में हिन्दुओ की इन
प्राचीन सम्पदाओ को दोनों हाथो से
लुटाया जा रहा है , क्योंकि राज्यसर्कारे हिन्दुओ
की अपने धर्म के प्रति उदासीनता को और उनकी अनंत
सहिष्णुता को अच्छी तरह जानती है …!!
परन्तु अब समय आ गया है की कोई हिंदू ,सरकार के इस के
लूटमार केविरुद्ध आवाज उठाये , जनता के धन
का (जो की उन्होंने इश्वर के कार्यों में दान किया है), इस
तरह से होता सरकारी दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार से
प्रश्न करे !
एक गैर-हिंदू विदेशी लेखक को हिन्दुओ के साथ
होता धार्मिक भ्रष्टाचार सहन नहीं हुआ ,और उसने इन
तथ्यों को उजागर किया सार्वजनिक तौर पर, परन्तु
लाखो हिंदू इस धार्मिक उत्पीड़नो को प्रतक्ष सहन करते
आ रहे है ….क्यों ?
…………..क्योंकि उनकी आत्मायें मर चुकी है !!

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