Thursday, October 31, 2013

आखिर क्यों दुनिया भर की सरकारों और एजेंसियो की नजर इन मुसलमानों पर हमेशा रहती है !!


●इस्लाम का प्रमुख उद्देश्य सभी गैर मुस्लिमो को इस्लामी झंड़े और शरिया कानून के दायरे मे लाना है !

●अगर करोडो मुस्लिम सामान्य जीवन जीते हुये दर्जनों बच्चे पैदा करके अपनी जनसंख्या मे इजाफा कर रहे है और सारे सिस्टम को अपने काबू मे करते जा रहे है, तो ये अत्यंत गंभीर समस्या है !
इसी मकसद के लिए मुस्लिम लोग इस्लाम और शरिया के लिए व्यवस्था मे अपनी पैठ बनाते है

●मुसलमान अपने इस्लामी सिद्धांतो के सहारे "इस्लाम को बढाने के मकसद' के लिये 1400 सालो से..अब तक राजनीतिक धार्मिक और सांस्कृतिक इस्लामी साम्राज्यवाद के जरिए दूसरे
देशो की व्यवस्था के लिए गंभीर समस्या पैदा कर रहे है !

√उपाय - इनका आर्थिक और सामाजिक बहिस्कार

इतिहास गवाह है कि जिस भी देश में मुसलमान बहुसंख्यक हो गए वो देश आतंकवाद, जिहाद, दंगे, और बम धमाकों की भेंट चढ़ गया।



मुसलमान जब अल्पसंख्यक होते हैं तो भाई बनकर रहते हैं और बहुसंख्यक होते ही ये कसाई बन जाते हैं। इतिहास गवाह है कि जिस भी देश में मुसलमान बहुसंख्यक हो गए वो देश आतंकवाद, जिहाद, दंगे, और बम धमाकों की भेंट चढ़ गया। 
पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब , इराक, अफगानिस्तान, सीरिया जैसे देश इसका जीता जागता उदहारण हैं। आज इन देशो में हिन्दू, बोद्ध, यहूदी धर्म समाप्त हो चुके हैं.....या तो उन्हें मार दिया गया या जबरन धर्म परिवर्तन करा दिया गया। और महिलाओ को बलात्कार के बाद यातनापूर्वक मार दिया गया। और यही स्थिति अगर हिंदुस्तान की रही तो यहाँ भी वही हालत हो जाएगी ...असम , कश्मीर और किश्तवाड़ में हम ये देख भी चुके हैं

मुसलमान क्यों लड़ते रहते हैं ?



मुसलमान किसी भी देश में रहें हमेशा फसाद करते रहते है , कई लोग इसका कारण राजनीतिक व्यवस्था और भ्रष्ट सरकारें बताते हैं , लेकिन असली कारण कुरान है , जो कहती है ...

وَأَعِدُّواْ لَهُم مَّا اسْتَطَعْتُم مِّن قُوَّةٍ وَمِن رِّبَاطِ الْخَيْلِ تُرْهِبُونَ بِهِ عَدْوَّ اللّهِ وَعَدُوَّكُمْ وَآخَرِينَ مِن دُونِهِمْ لاَ تَعْلَمُونَهُمُ اللّهُ يَعْلَمُهُمْ وَمَا تُنفِقُواْ مِن شَيْءٍ فِي سَبِيلِ اللّهِ يُوَفَّ إِلَيْكُمْ وَأَنتُمْ لاَ تُظْلَمُونَ. سورة الأنفال- Al-Anfâl -8:60
तुम आसपास के सभी लोगों से लड़ते रहो , चाहे तुम उनको जानते भी नहीं हो , और युद्ध के लिए सभी साधनों का प्रयोग करो .ताकि लोग भयभीत रहें .और लड़ाई के लिए तुम जो भी खर्चा करोगे अलह उसकी पूर्ति कर देगा , और अल्लाह अन्याय नहीं करता ” सूरा -अनफ़ाल 8 :60

लव जिहाद - पोस्ट 2



इस्लाम का अंतिम लक्ष्य एक दारुल – इस्लाम में पूरी दुनिया की को रूपांतरित करना है और इस लक्ष्य को पाने मे "लव जिहाद" को मुख्य हथियार के रूप में प्रयोग किया जा रहा है

वर्तमान लोकतांत्रिक सेटअप में, जनसांख्यिकीय शैली बदलकर या मुस्लिम आबादी द्वारा देशी जनसंख्या बढ़ाने के आधार पर एक दारुल- इस्लाम में बदला जा सकता है. यह जितनी जल्दी हो सके किया जाना चाहिए, और उनके गैर – मुस्लिम को मुस्लिम गर्भ में बदलने के की जरूरत है. प्रक्रिया दो आयामी लाभ है. सबसे पहले, यह मुस्लिम आबादी तेजी से और दूसरी प्रफुल्लित करने में मदद करता है.

मुसलमानों मे योजना बनाने में बुराई और षड़यंत्रपूर्ण या आपराधिक साजिश रचने में महान प्रतिभाएँ हैं. मान लीजिए कि एक हिंदू लड़की एक अकेली सड़क के माध्यम से गुजर रही है और तीन या चार मुस्लिम लड़के बैठे हुए हैं और उनमे से एक हिन्दू होने का नाटक करता है और बाकी के उस लड़की से छेड़छाड़ करते हैं तब वो नाटकी लड़का उस लड़की को बचाने का प्रयत्न करता हैं और बचा भी लेता है और इस घटना से उस लड़की के अंदर आकर्षण विकशित होना स्वाभाविक है और वे दोनों झूठे प्रेम मे फंस जाते हैं. जब लड़की पूरी तरह से फँस जाती है, तब वह उसे इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए निकाह करता है. अहमदनगर महाराष्ट्र मे अकेले, लगभग 300 हिंदू लड़कियों फंसाया गया और इस विधि का उपयोग किया गया.

तो अंत मे अपनी हिन्दू माँ बहनों से निवेदन हैं की आप लोग हमेशा सतर्क रहें और ऊपर लिखी हुई बातों को पूरे ध्यान मे रखें

लव जिहाद - पोस्ट 1



लव जिहाद – हिन्दू लड़की को अपने नकली प्यार मे फंसा कर धर्मांतरित करना ही इस जिहाद का मूल उद्देश्य है
मुसलमानों के अनुसार किसी भी काफिर देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए सबसे जरुरी है वहां की जनसँख्या का संतुलन बिगाड़ना. इसी लक्ष्य को पूराकरने और अपनी आबादी जल्दी बढाने के लिए वे गैर मुस्लिम लड़कियों को शिकार बनाते हैं और फिर उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर देते हैं.

इस जनसांख्यिकीय युद्ध में मुस्लिम गर्भ सबसे शक्तिशाली हथियार के रूप में उभरा है. तो, इस्लाम में एक गैर – मुस्लिम महिला का रूपांतरण बस एक मुस्लिम गर्भ और अधिक जिहादियों को जन्म देने में किया जाता है

प्रेम जाल में अधिक से अधिक लड़कियों को फँसाने के अपने अभियान के अंतर्गत बाहर ले जाने के लिए विशेष रैंक, पुरस्कार, और पैसा दिया जाता है. , कोझीकोड लॉ कॉलेज में एक पूर्व छात्र जहांगीर रजाक ने 42 लड़कियों की अकेले ही फंसा लिया और उन सब को मिलाकर एक सेक्स रैकेट चलाने लगा.
अहमदनगर महाराष्ट्र मे अकेले, लगभग 300 हिंदू लड़कियों फंसाया गया और इस विधि का उपयोग किया गया.

चेन्नई मे सरकारी संस्थाओं को पता हैं की इस सेक्स रैकेट और आतंकवादी संगठनों के बीच कोई कड़ी है. सऊदी अरब से इस काम के लिए बहुत फंडिंग की जाती है.
.........................
तो अंत मे अपनी हिन्दू माँ बहनों से निवेदन हैं की आप लोग हमेशा सतर्क रहें और ऊपर लिखी हुई बातों को पूरे ध्यान मे रखें, और भाइयों को सलाह है की ऐसे जिहादियों को जहाँ देखें धुनाई शुरू कर दें..

Monday, October 28, 2013

अगर भारत को टूटने से बचाना है तो भारत को जल्द से जल्द हिन्दू देश घोषित करो

जब पाकिस्तान को इस्लामिक देश घोषित
किया गया तब ...पकिस्तान में 25 % हिन्दू थे ..।
क्या इन मुल्लो ने 25 % हिन्दुओ को पुछा ...की. तुम्हे
इस्लामिक देश चाहिए या सेक्युलर देश .....?
__________________________________________

जब बांग्लादेश को इस्लामिक देश घोषित
किया गया तब ...बांग्लादेश में 33 % % हिन्दू थे ..।
क्या इन मुल्लो ने 33 % हिन्दुओ को पुछा ...की. तुम्हे
इस्लामिक देश चाहिए या सेक्युलर देश .....?

_________________________________________

और आज भारत में ...18 % मुस्लिम है फिर हम क्यों इन जिहादी से पूछ रहे है की तुम्हे हिन्दू-देश चाहिए
या सेक्युलर देश ...?

अगर भारत को टूटने से बचाना है तो भारत को जल्द से
जल्द हिन्दू देश घोषित करो ।।।

[ इस पोस्ट शेयर करो या मन में याद करो और अपने
सेक्युलर दोस्तों को बताओ ...]

बकरा ईद

जिस इस्लामी खूनी त्योहार को लोग "अज्ञानवश बकरा ईद
या बकरीद" कहते हैं...... उसका असली नाम..... " ईदुल अजहा" है ...
जिसका अर्थ.... "क़त्ल करने की ख़ुशी" होती है ...!
जिसे थोड़ी बहुत भी उर्दू आती होगी.....उन्हेंये भली-भांति मालूम
होगा कि...... ""कुर्बानी का मतलब बलिदान"" होता है .... और,
""कुर्बानी देने का मतलब खुद मरना"" होता है..... ""ना कि...
दूसरों को मारना""......!
जबकि.... जिबह का अर्थ..... किसी के गले पर छुरी फेरना ..... और,
उसकी हत्या करना है....!
हकीकतन ये हरामी मुल्ले ...... कुर्बानी का नाम लेकर .... हम हिन्दुओं
की भावना को आहात करने और हमें नीचा दिखाने के लिए.... खुलेआम
गौ हत्या करते हैं....!
वास्तव में..... बकरा ईद या बकरीद का असली उद्देश्य.......
मुसलमानों को हत्या करने का प्रशिक्षण देना है ..... जिसके
तहत ......पहले वह निरीह मूक जानवरों को मारते हैं ..... फिर, अभ्यस्त
होकर इंसानों की हत्या करते है ...!
इसके लिए चालाक मुल्ले इब्राहीम नाम के एक
नबी की कहानी का हवाला देते हैं .....जिसने अपने लडके
की कुर्बानी की थी ....और, उसी की याद में यह बकरा ईद मनाई
जाती है ....!
यहाँ तक कि.... मुल्ले मुहम्मद को उसी इब्राहीम का वंशज बताते हैं....!
लेकिन आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे कि...... यह सरासर झूठ है .....
क्योंकि, न तो इब्राहीम ने अपने लडके की कुर्बानी दी थी ....और,
ना ही मुहम्मद... किसी इब्राहीम का वंशज था .
दरअसल इब्राहीम एक झूठा ..... और निहायत
ही अन्धविश्वासी तथा व्यभिचारी व्यक्ति था.......जिसने
अपनी ही सगी बहन से सम्भोग किया था ...!
और, इसी तरह..... इब्राहीम के भतीजे..... लूत ने
भी अपनी सगी बेटियों के साथ सहवास करके बच्चे पैदा किये
थे .......और, मुहम्मद ने हिन्दुओं की आस्था पर चोट करने तथा उनके
दिल दुखाने के लिए गाय की कुर्बानी करने का आदेश दिया था ....!
और ... अगर..... मुल्लों की इब्राहीम और
कुर्बानी वाली बातों को एक क्षण के लिए मान भी लिया जाए
तो....... क्या कोई मुल्ला ये जबाब देगा कि.....
1 -जब यहूदी और ईसाई भी मुसलमानों की तरह इब्राहीम
द्वारा लडके की कुर्बानी की कहानी को मानते हैं ....तो, यहूदी और
ईसाई कुर्बानी क्यों नहीं करते .
2 - क्या इब्राहीम एक सदाचारी और सत्यवादी व्यक्ति था ????
3 - क्या इब्राहीम ने सचमुच ही अपने पुत्र
की कुर्बानी की थी ..क्योंकि ... इब्राहीम के तो दो लडके
थे ......इसहाक और इस्माइल ...... फिर, इब्राहीम ने
किसकी कुर्बानी करना चाही थी....????
4 -क्या मुहम्मद उसी इब्राहीम के बेटे का वंशज है ....????
6 -बाइबिल और कुरान में तो केवल एक "मेंढे (Ram )" की बात
कही है ..... फिर गाय की बात क्यों और कहाँ से आ गई .....????
7 -अपनी सगी बहन के साथ सहवास करने वाले नीच इब्राहीम पर
लानत क्यों नहीं की जानी चाहिए .?????
8. अगर सच में इब्राहीम ने अपने बेटे की कुर्बानी दी थी तो....
उसी का अनुकरण करते हुए ये मुल्ले भी गाय के बदले ..... अपने
सूअरों की तरह जन्मे 20 -25 बच्चों में दो चार
बच्चों की कुर्बानी क्यों नहीं दे देते हैं....????
दरअसल.... ये सब मुस्लिमों का ढोंग है.... और किसी ने
किसी की कुर्बानी नहीं दी थी थी..... तथा, ये बकरीद... हम हिदुओं
की भावना को आहात करने के लिए और, हमारा दिल दुखाने के लिए
मनाया जाता है...!!
और, ये नौटंकी तब तक... इसी तरह चलता रहेगा..... जबतक कि....
मुल्लों को उन्ही की भाषा में जबाब नहीं दिया जायेगा ...
जो भाषा उन्हें समझ आती है...!
जय महाकाल...!!!

इस्लाम में जातिवाद” के कुछ कड़वे तथ्य आपके सामने ..

=========================

१. जबसे इस्लाम मज़हब बना है तभी से “शिया और सुन्नी” मुस्लिम एक दूसरे की जान के दुश्मन हैं, यह लोग आपस में लड़ते-मरते रहते हैं ...!!

२. अहमदिया, सलफमानी, शेख, क़ाज़ी, मुहम्मदिया, पठान आदि मुस्लिमों की जातियां हैं, और हंसी की बात, यह एक ही अल्लाह को मानने वाले, एक ही मस्जिद में नमाज़ नहीं पढते!!! सभी जातियों के लिए अलग अलग मस्जिदें होती हैं .!!
३. सउदी अरब, अरब अमीरात, ओमान, कतर आदि अन्य अरब राष्ट्रों के मुस्लिम पाकिस्तान, भारत और बंगलादेशी मुस्लिमों को फर्जी मुसलमान मानते हें और इनसे छुआछूत मानते हैं । सउदी अरब मे ऑफिसो मे भारत और पाक के मुसलमानों के लिए अलग पानी रखा रखता है |
४. शेख अपने आपको सबसे उपर मानते हैं और वे किसी अन्य जाति में निकाह नहीं करते.
५. इंडोनेशिया में १०० वर्षों पूर्व अनेकों बौद्ध और हिंदू परिवर्तित होकर मुस्लिम बने थे, इसी कारण से
सभी इस्लामिक राष्ट्र, इंडोनेशिया से घृणा की भावना रखते हैं..
६. क़ाज़ी मुस्लिम, ''भारतीय मुस्लिमों'' को मुस्लिम ही नहीं मानते... क्यूंकि उन का मानना है के यह सब भी हिंदूधर्म से परिवर्तित हैं !!!
७. अफ्रीका महाद्वीप के सभी इस्लामिक राष्ट्र जैसे मोरोक्को, मिस्र, अल्जीरिया, निजेर,लीबिया आदि राष्ट्रों के मुस्लिमों को तुर्की के मुस्लिम सबसे निम्न मानते हैं ।
८. सोमालिया जैसे गरीब इस्लामिक राष्ट्रों में अपने बुजुर्गों को ''जीवित'' समुद्र में बहाने की प्रथा चल रही है!!!
९. भारत के ही बोहरा मुस्लिम किसी भी मस्जिद में नहीं जाते, वो मात्र मज़ारों पे जाते हैं... उनका विश्वास सूफियों पे है... अल्लाह पे नहीं !!

१०. मुसलमान दो मुखय सामाजिक विभाग मानते हैं-

१. अशरफ अथवा शरु और २. अज़लफ। अशरफ से तात्पर्य है '
कुलीन' और शेष अन्य मुसलमान जिनमें व्यावसायिक वर्ग और निचली जातियों के मुसलमान शामिल हैं, उन्हें अज़लफ अर्थात् नीच अथवा निकृष्ट व्यक्ति माना जाता है। उन्हें कमीना अथवा इतर कमीन या रासिल, जो रिजाल का भ्रष्ट रूप है, 'बेकार' कहा जाता है।
कुछ स्थानों पर एक तीसरा वर्ग 'अरज़ल' भी है, जिसमें आने वाले व्यक्ति सबसे नीच समझे जाते हैं।
उनके साथ कोई भी अन्य मुसलमान मिलेगा- जुलेगा नहीं और न उन्हें मस्जिद और सार्वजनिक कब्रिस्तानों में प्रवेश करने दिया जाता है।
१. 'अशरफ' अथवा उच्च वर्ग के मुसलमान (प) सैयद, (पप) शेख, (पपप) पठान, (पअ) मुगल, (अ) मलिक और (अप) मिर्ज़ा।
२. 'अज़लफ' अथवा निम्न वर्ग के मुसलमान......
(A) खेती करने वाले शेख और अन्य वे लोग जोमूलतः हिन्दू थे, किन्तु किसी बुद्धिजीवी वर्ग से सम्बन्धित नहीं हैं और जिन्हें अशरफ समुदाय, अर्थात् पिराली और ठकराई आदि में प्रवेश नहीं मिला है।
(B) दर्जी, जुलाहा, फकीर और रंगरेज।
(C) बाढ़ी, भटियारा, चिक, चूड़ीहार, दाई,धावा, धुनिया, गड्डी, कलाल, कसाई, कुला, कुंजरा,लहेरी, माहीफरोश, मल्लाह, नालिया, निकारी।
(D) अब्दाल, बाको, बेडिया, भाट, चंबा, डफाली, धोबी, हज्जाम, मुचो, नगारची, नट, पनवाड़िया, मदारिया, तुन्तिया।
३. 'अरजल' अथवा निकृष्ट वर्ग भानार, हलालखोदर,हिजड़ा , कसंबी, लालबेगी, मोगता, मेहतर।
अल्लाह एक, एक कुरान, एक .... नबी ! और महान एकता......... बतलाते हैं स्वंय में ?
जबकि, मुसलमानों के बीच, शिया और सुन्नी सभी मुस्लिम देशों में एक दूसरे को मार रहे हैं .
और, अधिकांश मुस्लिम देशों में.... इन दो संप्रदायों के बीच हमेशा धार्मिक दंगा होता रहता है..!
इतना ही नहीं... शिया को.., सुन्नी मस्जिद में जाना मना है .
इन दोनों को.. अहमदिया मस्जिद में नहीं जाना है.
और, ये तीनों...... सूफी मस्जिद में कभी नहीं जाएँगे.
फिर, इन चारों का मुजाहिद्दीन मस्जिद में प्रवेश वर्जित है..!
किसी बोहरा मस्जिद मे कोई दूसरा मुस्लिम नहीं जा सकता .
कोई बोहरा का किसी दूसरे के मस्जिद मे जाना वर्जित है ..
आगा खानी या चेलिया मुस्लिम का अपना अलग मस्जिद होता है .
सबसे ज्यादा मुस्लिम किसी दूसरे देश मे नही बल्कि मुस्लिम देशो मे ही मारे गए है ..
आज भी सीरिया मे करीब हर रोज एक हज़ार मुस्लिम हर रोज मारे जा रहे है .
अपने आपको इस्लाम जगत का हीरों बताने वाला सद्दाम हुसैन ने करीब एक लाख कुर्द मुसलमानों को रासायनिक बम से मार डाला था ...
पाकिस्तान मे हर महीने शिया और सुन्नी के बीच दंगे भड़कते है ।
और इसी प्रकार से मुस्लिमों में भी 13 तरह के मुस्लिम हैं, जो एक दुसरे के खून के प्यासे रहते हैं और आपस में बमबारी और मार-काट वगैरह... मचाते रहते हैं.
*****अब आइये ... जरा हम अपने हिन्दू/सनातन धर्म को भी देखते हैं.
हमारी 1280 धार्मिक पुस्तकें हैं, जिसकी 10,000 से भी ज्यादा टिप्पणियां और १,00.000 से भी अधिक उप-टिप्पणियों मौजूद हैं..!एक भगवान के अनगिनत प्रस्तुतियों की विविधता,अनेकों आचार्य तथा हजारोंऋषि-मुनि हैं जिन्होंने अनेक भाषाओँ में उपदेश दिया है..
फिर भी, हम सभी मंदिरों में जाते हैं, इतना ही नहीं.. हम इतने शांतिपूर्ण और सहिष्णु लोग हैं कि सब लोग एक साथ मिलकर सभी मंदिरों और सभी भगवानो की पूजा करते हैं .
और तो और.... पिछले दस हजार साल में धर्म के नाम पर हिंदुओं में आपस में धर्म के नाम पर "कभी झगड़ा नहीं" हुआ .
इसलिए इन लोगों की नौटंकी और बहकावे पर मत जाओ... और...."गर्व से कहो हम हिन्दू हैं"...!

क्या अल्लाह इतना निर्बल है की वो ....एक भी मुस्लमान नहीं पैदा कर सकता ?

अकसर मुस्लिम और जाकिर नाईक सरीखे इस्लाम के प्रचारक... इस्लाम को सर्वश्रेष्ठ बताते नहीं थकते हैं..... और, अपने दढ़ियल मुल्लों तथा मदरसे के प्रभाव में आकर ... आम मुस्लिम भी ""कुँए के मेढक के समान ""खुद को ही सर्वश्रेष्ठ तथा अपने "कुरान को महान समझने लगता है""...!


जब हम लोग इस्लाम के बारे में कुछ भी लिखते हैं तो.... मुस्लिम आकर उस लेख पर एक बात बारम्बार कहते हैं कि... पहले आप कुरान पढ़ लो.. फिर बोलना
(यहाँ गौर करने लायक बात यह है कि.... मुस्लिम कभी भी दूसरे धर्म का धर्मग्रन्थ नहीं पढ़ते हैं)

लेकिन... जब उनकी बातों से सहमत होकर कुरान को पढ़ा तो... Confusion कम कम होने के बजाए बढ़ गया...!

वो जाकिर नाईक बोलता है कि.... अगर हमने ""गणेश को भगवन साबित कर दिया तो वो प्रसाद खा लेगा""..... परन्तु में बोलता हूँ कि.... अगर जाकिर नाईक समेत कोई भी मुस्लिम इस सवालों के जबाब दे देगा और मेरी CONFUSION दूर कर देगा... तो मैं .... इस्लाम ही कबूल कर लूँगा....!

है कोई माई का लाल ... जो मेरे सवालों का जबाब दे कर ... मुझे इस्लाम कबूल करने को बाध्य कर दे....???????????

1. क्या अल्लाह इतना शक्तिहीन है कि..... वो सीधे सीधे एक भी मुस्लिम बच्चा पैदा नहीं कर सकता है...???? (पैदा तो सारे हिन्दू ही होते हैं... जिसे बाद में खतना कर मुसलमान बनाया जाता है)

2. इस्लाम के मुताबिक यदि 3 दिन/माह का बच्चा मर जाये तो उसको कयामत के दिन क्या मिलेगा......... जन्नत या जहन्नुम ?????

3. मरने के बाद जन्नत में पुरुष को 72 हूरी (अप्सराए) मिलेगी...तो स्त्री को क्या मिलेगा...... 72 हूरा (पुरुष वेश्या) .......???????
उसमे भी वो बिना शादी के मरे तो ......??????????

4. जिहाद का अर्थ क्या है ................. आतंकवाद.....????????

5. बिन्मुस्लिम (काफ़िर) यदि अच्छे गुणों वाला हो तो भी.......... क्या अल्लाह उसको जहन्नुम की आग में झोक देगा....???? और क्यों ?
सिर्फ मूर्तिपूजा ही उसका गुनाह है.....?????
और, अगर ऐसा करेगा तो.... क्या ये अन्याय नहीं हुआ ???????
क्योंकि... कुरान के अनुसार .....खुद अल्लाह ने ही तो उसके दिल पे मुहर लगा दी है ...फिर अल्लाह को क्या हक़ है उसको जहन्नुम में डालने का ??????

6. मुहम्मद ने 9 साल की बच्ची आयशा से बलात्कार क्यों किया ....?????
वो भी 53 साल की उम्र में ??????
जैसे मुहम्मद ने ZAYD IBN को दत्तक लिया था....वैसे ही आयशा को भी तो.. दत्तक ले सकते थे ???
शादी कर के PEDOPHILE बनाने की क्या आवश्यकता थी ??????

7. अगर अल्लाह की कोई इमेज (छवि) नहीं है तो........उसने मुहम्मद या जिब्राइल से बात कैसे की ...??????
मुहम्मद और जिब्राइल ने अल्लाह को कैसे देखा ???????

8. इस्लाम या कुरान ने दुनिया को ऐसा क्या नया दिया है जो उससे पहले के धर्मो / पुस्तकों में नहीं था ...????
इस्लाम में ऐसा क्या नया है..... जो HINDUISM में नहीं है ???????????

9. मुहम्मद से भी अच्छे गुण वाले लोग दुनिया में हो गए है .....तो फिर भी लोगो को मुहम्मद पर ही क्यों यकीन करना चाहिए..?????
आखिर उस लुटेरे मुहम्मद में ऐसा कौन सा ख़ास गुण है जो बाकियों में नहीं है ........??????

10. दुनिया में कोई गरीब है तो...कोई अमीर , कोई बीमार है ... तो कोई तंदुरस्त ..!
कोई जन्म से अँधा, लूला, बहरा है...... ऐसा क्यों.....???
अल्लाह ने उसको ऐसा क्यों पैदा किया ????
यदि कोई बच्चा बचपन में ही कोमा में चला जाये तो.. क्या ये उसके साथ अन्याय नहीं है ????????
उसकी क्या गलती थी जो अल्लाह ने बचपन में ही उसको ये सजा दी...??????????

(क्योंकि इस्लाम में पुनर्जन्म की मान्यता नहीं है... इसीलिए मुस्लिम उसे पूर्वजन्म का पाप भी नहीं कह सकते हैं)
11. मुस्लिम मूर्ति पूजा में नहीं मानते तो मक्का के काले पत्थर (शिवलिंग) के सामने क्यों ज़ुकते है ? देखा जाए तो वो भी एक पत्थर (मूर्ति) ही है

12. अगर इस्लाम में 4 पत्निया जायज़ है ....तो मोहम्मद की 19 बीबियाँ क्यों थी ...????

आखिर अल्लाह ने मोहम्मद को ही ऐसा हक़ क्यों दिया था ....कि... वो जितनी चाहे ...जिसको चाहे.... अपनी पत्नी बना सकता था ?

13. कुरान में 1000 से भी ज्यादा आयते आतंकवाद /नाजायज़ सेक्स के बारे में बताती है ...फिर मुसलमान इस्लाम छोड़ क्यों नहीं देते ...?????
कहीं इअसा तो नहीं कि.... अल्लाह ने उनके दिलों पर भी आतंकवाद की मोहर लगा दी है....??????

14. यदि किसी गाव में रहने वाले हिन्दू/ईसाई के पास इस्लाम का सन्देश पहुंचा ही ना हो ...और, वो मर जाए तो भी अल्लाह उसको जहन्नुम में डालेगा ... क्योंकि वो इस्लाम को नहीं मानता है...?????
आखिर.... वो अल्लाह बार बार ऐसी नाइंसाफ़ी क्यों करता है....??????

15. आखिर मुस्लिम औरतों ने ऐसा क्या पाप कर दिया है कि..... चाहे वो कुछ भी कर ले..... अल्लाह उनको जहन्नुम में ही डालेगा....????

16. मुस्लिम औरतों को.... अपने अल्लाह के इबादत की आजादी (मस्जिद में जाने की) क्यों नहीं है....????

18. अगर इस्लाम में बुत पूजा हराम है तो...... मुस्लिम काबा में काले पत्थर की पूजा क्यों करते हैं....... क्या ये मुस्लिमों का दोगलापन नहीं है....???

#### जाकिर नाईक समेत सभी मुल्लों और मुसलमानों से अपील की जाती है कि..... वे इन सवालों के तर्कसंगत उत्तर दें...... और, दुनिया को इस्लामी नजरिये के बारे में.... अवगत कराएँ....

अगर...... वे ऐसा नहीं कर पाए तो...... यही माना जायेगा कि..... इस्लाम ढोंग और आडम्बर से परिपूर्ण एक संप्रदाय है.. जो लोगों को बेवकूफ बना कर अपना काम चला रहा है...!

इस्लाम व कुरान पर भारत के महापुरुषों द्वारा दिए गए क्रातिकारी विचार

======================================

स्वामी विवेकानन्द
--------------------
ऎसा कोई अन्य मजहब नहीं जिसने इतना अधिक रक्तपात किया हो और अन्य के लिए इतना क्रूर हो । इनके अनुसार जो कुरान को नहीं मानता कत्ल कर दिया जाना चाहिए । उसको मारना उस पर दया करना है । जन्नत ( जहां हूरे और अन्य सभी प्रकार की विलासिता सामग्री है ) पाने का निश्चित तरीका गैर ईमान वालों को मारना है । इस्लाम द्वारा किया गया रक्तपात इसी विश्वास के कारण हुआ है ।

कम्प्लीट वर्क आफ विवेकानन्द वॉल्यूम २ पृष्ठ २५२-२५३

गुरु नानक देव जी
--------------------
मुसलमान सैय्यद , शेख , मुगल पठान आदि सभी बहुत निर्दयी हो गए हैं । जो लोग मुसलमान नहीं बनते थें उनके शरीर में कीलें ठोककर एवं कुत्तों से नुचवाकर मरवा दिया जाता था ।

नानक प्रकाश तथा प्रेमनाथ जोशी की पुस्तक पैन इस्लाममिज्म रोलिंग बैंक पृष्ठ ८०

महर्षि दयानन्द सरस्वती
---------------------------
इस मजहब में अल्लाह और रसूल के वास्ते संसार को लुटवाना और लूट के माल में खुदा को हिस्सेदार बनाना शबाब का काम हैं । जो मुसलमान नहीं बनते उन लोगों को मारना और बदले में बहिश्त को पाना आदि पक्षपात की बातें ईश्वर की नहीं हो सकती । श्रेष्ठ गैर मुसलमानों से शत्रुता और दुष्ट मुसलमानों से मित्रता , जन्नत में अनेक औरतों और लौंडे होना आदि निन्दित उपदेश कुएं में डालने योग्य हैं । अनेक स्त्रियों को रखने वाले मुहम्मद साहब निर्दयी , राक्षस व विषयासक्त मनुष्य थें , एवं इस्लाम से अधिक अशांति फैलाने वाला दुष्ट मत दसरा और कोई नहीं । इस्लाम मत की मुख्य पुस्तक कुरान पर हमारा यह लेख हठ , दुराग्रह , ईर्ष्या विवाद और विरोध घटाने के लिए लिखा गया , न कि इसको बढ़ाने के लिए । सब सज्जनों के सामन रखने का उद्देश्य अच्छाई को ग्रहण करना और बुराई को त्यागना है ।।

सत्यार्थ प्रकाश १४ वां समुल्लास विक्रमी २०६१

महर्षि अरविन्द
-----------------
हिन्दू मुस्लिम एकता असम्भव है क्योंकि मुस्लिम कुरान मत हिन्दू को मित्र रूप में सहन नहीं करता । हिन्दू मुस्लिम एकता का अर्थ हिन्दुओं की गुलामी नहीं होना चाहिए । इस सच्चाई की उपेक्षा करने से लाभ नहीं ।किसी दिन हिन्दुओं को मुसलमानों से लड़ने हेतु तैयार होना चाहिए । हम भ्रमित न हों और समस्या के हल से पलायन न करें । हिन्दू मुस्लिम समस्या का हल अंग्रेजों के जाने से पहले सोच लेना चाहिए अन्यथा गृहयुद्ध के खतरे की सम्भावना है । ।

ए बी पुरानी इवनिंग टाक्स विद अरविन्द पृष्ठ २९१-२८९-६६६

सरदार वल्लभ भाई पटेल
----------------------------
मैं अब देखता हूं कि उन्हीं युक्तियों को यहां फिर अपनाया जा रहा है जिसके कारण देश का विभाजन हुआ था । मुसलमानों की पृथक बस्तियां बसाई जा रहीं हैं । मुस्लिम लीग के प्रवक्ताओं की वाणी में भरपूर विष है । मुसलमानों को अपनी प्रवृत्ति में परिवर्तन करना चाहिए । मुसलमानों को अपनी मनचाही वस्तु पाकिस्तान मिल गया हैं वे ही पाकिस्तान के लिए उत्तरदायी हैं , क्योंकि मुसलमान देश के विभाजन के अगुआ थे न कि पाकिस्तान के वासी । जिन लोगों ने मजहब के नाम पर विशेष सुविधांए चाहिंए वे पाकिस्तान चले जाएं इसीलिए उसका निर्माण हुआ है । वे मुसलमान लोग पुनः फूट के बीज बोना चाहते हैं । हम नहीं चाहते कि देश का पुनः विभाजन हो ।

संविधान सभा में दिए गए भाषण का सार ।

बाबा साहब भीम राव अंबेडकर
--------------------------------
हिन्दू मुस्लिम एकता एक अंसभव कार्य हैं भारत से समस्त मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना और हिन्दुओं को वहां से बुलाना ही एक हल है । यदि यूनान तुर्की और बुल्गारिया जैसे कम साधनों वाले छोटे छोटे देश यह कर सकते हैं तो हमारे लिए कोई कठिनाई नहीं । साम्प्रदायिक शांति हेतु अदला बदली के इस महत्वपूर्ण कार्य को न अपनाना अत्यंत उपहासास्पद होगा । विभाजन के बाद भी भारत में साम्प्रदायिक समस्या बनी रहेगी । पाकिस्तान में रुके हुए अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा कैसे होगी ? मुसलमानों के लिए हिन्दू काफिर सम्मान के योग्य नहीं है । मुसलमान की भातृ भावना केवल मुसमलमानों के लिए है । कुरान गैर मुसलमानों को मित्र बनाने का विरोधी है , इसीलिए हिन्दू सिर्फ घृणा और शत्रुता के योग्य है । मुसलामनों के निष्ठा भी केवल मुस्लिम देश के प्रति होती है । इस्लाम सच्चे मुसलमानो हेतु भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दुओं को अपना निकट संबधी मानने की आज्ञा नहीं देता । संभवतः यही कारण था कि मौलाना मौहम्मद अली जैसे भारतीय मुसलमान भी अपेन शरीर को भारत की अपेक्षा येरूसलम में दफनाना अधिक पसन्द किया । कांग्रेस में मुसलमानों की स्थिति एक साम्प्रदायिक चौकी जैसी है । गुण्डागर्दी मुस्लिम राजनीति का एक स्थापित तरीका हो गया है । इस्लामी कानून समान सुधार के विरोधी हैं । धर्म निरपेक्षता को नहीं मानते । मुस्लिम कानूनों के अनुसार भारत हिन्दुओं और मुसलमानों की समान मातृभूमि नहीं हो सकती । वे भारत जैसे गैर मुस्लिम देश को इस्लामिक देश बनाने में जिहाद आतंकवाद का संकोच नहीं करते ।

प्रमाण सार डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय , खण्ड १५१

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर श्री गुरू जी
-------------------------------------------------
पाकिस्तान बनने के पश्चात जो मुसलमान भारत में रह गए हैं क्या उनकी हिन्दुओं के प्रति शत्रुता , उनकी हत्या , लूट दंगे, आगजनी , बलात्कार , आदि पुरानी मानसिकता बदल गयी है , ऐसा विश्वास करना आत्मघाती होगा । पाकिस्तान बनने के पश्चात हिन्दुओं के प्रति मुस्लिम खतरा सैकड़ों गुणा बढ़ गया है । पाकिस्तान और बांग्लादेश से घुसपैठ बढ़ रही है । दिल्ली से लेकर रामपुर और लखनउ तक मुसलमान खतरनाक हथियारों की जमाखोरी कर रहे हैं । ताकि पाकिस्तान द्वारा भारत पर आक्रमण करने पर वे अपने भाइयों की सहायता कर सके । अनेक भारतीय मुसलमान ट्रांसमीटर के द्वारा पाकिस्तान के साथ लगातार सम्पर्क में हैं । सरकारी पदों पर आसीन मुसलमान भी राष्ट्र विरोधी गोष्ठियों में भाषण देते हें । यदि यहां उनके हितों को सुरक्षित नहीं रखा गया तो वे सशस्त्र क्रांति के खड़े होंगें ।

बंच आफ थाट्स पहला आंतरिक खतरा मुसलमान पृष्ठ १७७-१८७

गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर
---------------------------
ईसाई व मुसलमान मत अन्य सभी को समाप्त करने हेतु कटिबद्ध हैं । उनका उद्देश्य केवल अपने मत पर चलना नहीं है अपितु मानव धर्म को नष्ट करना है । वे अपनी राष्ट्र भक्ति गैर मुस्लिम देश के प्रति नहीं रख सकते । वे संसार के किसी भी मुस्लिम एवं मुस्लिम देश के प्रति तो वफादार हो सकते हैं परन्तु किसी अन्य हिन्दू या हिन्दू देश के प्रति नहीं । सम्भवतः मुसलमान और हिन्दू कुछ समय के लिए एक दूसरे के प्रति बनवटी मित्रता तो स्थापित कर सकते हैं परन्तु स्थायी मित्रता नहीं । ;

- रवीन्द्र नाथ वाडमय २४ वां खण्ड पृच्च्ठ २७५ , टाइम्स आफ इंडिया १७-०४-१९२७ , कालान्तर

मोहनदास करम चन्द्र गांधी
------------------------------
मेरा अपना अनुभव है कि मुसलमान कूर और हिन्दू कायर होते हैं मोपला और नोआखली के दंगों में मुसलमानों द्वारा की गयी असंख्य हिन्दुओं की हिंसा को देखकर अहिंसा नीति से मेरा विचार बदल रहा है ।

गांधी जी की जीवनी, धनंजय कौर पृष्ठ ४०२ व मुस्लिम राजनीति श्री पुरूषोत्तम योग

लाला लाजपत राय
---------------------
मुस्लिम कानून और मुस्लिम इतिहास को पढ़ने के पश्चात मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि उनका मजहब उनके अच्छे मार्ग में एक रुकावट है । मुसलमान जनतांत्रिक आधार पर हिन्दुस्तान पर शासन चलाने हेतु हिन्दुओं के साथ एक नहीं हो सकते । क्या कोई मुसलमान कुरान के विपरीत जा सकता है ? हिन्दुओं के विरूद्ध कुरान और हदीस की निषेधाज्ञा की क्या हमें एक होने देगी ? मुझे डर है कि हिन्दुस्तान के ७ करोड़ मुसलमान अफगानिस्तान , मध्य एशिया अरब , मैसोपोटामिया और तुर्की के हथियारबंद गिरोह मिलकर अप्रत्याशित स्थिति पैदा कर देंगें ।

पत्र सी आर दास बी एस ए वाडमय खण्ड १५ पृष्ठ २७५

समर्थ गुरू राम दास जी
--------------------------
छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरू अपने ग्रंथ दास बोध में लिखते हैं कि मुसलमान शासकों द्वारा कुरान के अनुसार काफिर हिन्दू नारियों से बलात्कार किए गए जिससे दुःखी होकर अनेकों ने आत्महत्या कर ली । मुसलमान न बनने पर अनेक कत्ल किए एवं अगणित बच्चे अपने मां बाप को देखकर रोते रहे । मुसलमान आक्रमणकारी पशुओं के समान निर्दयी थे , उन्होंने धर्म परिवर्तन न करने वालों को जिन्दा ही धरती में दबा दिया ।

- डा एस डी कुलकर्णी कृत एन्कांउटर विद इस्लाम पृष्ठ २६७-२६८

राजा राममोहन राय
------------------------
मुसलमानों ने यह मान रखा है कि कुरान की आयतें अल्लाह का हुक्म हैं । और कुरान पर विश्वास न करने वालों का कत्ल करना उचित है । इसी कारण मुसलमानों ने हिन्दुओं पर अत्यधिक अत्याचार किए , उनका वध किया , लूटा व उन्हें गुलाम बनाया ।

वाङ्मय-राजा राममोहन राय पृष्ट ७२६-७२७

श्रीमति ऐनी बेसेन्ट
----------------------
मुसलमानों के दिल में गैर मुसलमानों के विरूद्ध नंगी और बेशर्मी की हद तक तक नफरत हैं । हमने मुसलमान नेताओं को यह कहते हुए सुना है कि यदि अफगान भारत पर हमला करें तो वे मसलमानों की रक्षा और हिन्दुओं की हत्या करेंगे । मुसलमानों की पहली वफादार मुस्लिम देशों के प्रति हैं , हमारी मातृभूमि के लिए नहीं । यह भी ज्ञात हुआ है कि उनकी इच्छा अंग्रेजों के पश्चात यहां अल्लाह का साम्राज्य स्थापित करने की है न कि सारे संसार के स्वामी व प्रेमी परमात्मा का का । स्वाधीन भारत के बारे में सोचते समय हमें मुस्लिम शासन के अंत के बारे में विचार करना होगा ।

- कलकत्ता सेशन १९१७ डा बी एस ए सम्पूर्ण वाङ्मय खण्ड, पृष्ठ २७२-२७५

स्वामी रामतीर्थ
-----------------
अज्ञानी मुसलमानों का दिल ईश्वरीय प्रेम और मानवीय भाईचारे की शिक्षा के स्थान पर नफरत , अलगाववाद , पक्षपात और हिंसा से कूट कूट कर भरा है । मुसलमानों द्वारा लिखे गए इतिहास से इन तथ्यों की पुष्टि होती है । गैर मुसलमानों आर्य खालसा हिन्दुओं की बढ़ी संख्या में काफिर कहकर संहार किया गया । लाखों असहाय स्त्रियों को बिछौना बनाया गया । उनसे इस्लाम के रक्षकों ने अपनी काम पिपासा को शान्त किया । उनके घरों को छीना गया और हजारों हिन्दुओं को गुलाम बनाया गया । क्या यही है शांति का मजहब इस्लाम ? कुछ एक उदाहरणों को छोड़कर अधिकांश मुसलमानों ने गैरों को काफिर माना है ।

बेकार, नाकारा धर्म है इस्‍लाम

तस्‍लीमा नसरीन

मुसलमानों के गुस्‍से में जला बांग्‍लादेश, तस्‍लीमा बोलीं- बेकार, नाकारा धर्म है इस्‍लाम....
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में ‘अल्लाहो अकबर’ का नारे लगाते हुए हजारों लोगों ने रवि‍वार को कठोर ईशनिंदा कानून की मांग करते हुए 100 दुकानों को आग लगा दी। पुलिस के साथ हुई झड़पों में आज कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 80 घायल हो गए। नव-गठित हिफातज-ए-इस्लाम या ‘इस्लाम के संरक्षक’ धर्मनिरपेक्ष आवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार पर कठोर ईशनिंदा कानून लागू कराने के लिए दबाव बनाने की खातिर ‘ढाका का घेराव’ करने की अपनी योजना को अंजाम दे रहे हैं। वह इस्लाम या पैगंबर का अपमान करने वालों को सजा देने के लिए ईशनिंदा कानून लागू करने सहित अपनी 13 सूत्री मांग के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं।
अशांति फैलाने वाले हि‍फाजत-ए-इस्‍लाम के सदस्‍यों को बांग्‍लादेश की प्रसिद्ध लेखि‍का डा.तस्‍लीमा नसरीन ने आड़े हाथ लि‍या है। तस्‍लीमा ने अपने ब्‍लॉग में लि‍खा है कि, 'हि‍फाजत-ए-इस्‍लाम के हजारों समर्थकों ने शहर में लोगों की दुकानें और वाहन फूंक डाले। हि‍फाजत-ए-इस्‍लाम के लोग उन लोगों को फांसी पर लटका देना चाहते हैं जो इस्‍लाम को नहीं मानते। वहीं सरकार इस्‍लाम न मानने वालों को उनके नास्‍ति‍क होने के चलते गि‍रफ्तार कर रही है। इससे भी हि‍फाजत-ए-इस्‍लाम के लोग खुश नहीं हैं। वो उनकी हत्‍या करना चाहते हैं और यही उनका मुख्‍य उद्देश्‍य है। उनका दूसरा एजेंडा बांग्‍लादेश को फालतू के धर्म की फालतू धरती बनाना है।'
तस्‍लीमा ने कहा कि 'अल्‍लाह अपने खुद की और अपने धर्म की रक्षा करने में अक्षम हो गए हैं। इसलि‍ए सरकार और कुछ स्‍वयं सेवी संगठन मि‍लकर अल्‍लाह और इस्‍लाम की रक्षा करने के लि‍ए काम कर रहे हैं। बांग्‍लादेश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीति‍क पार्टी इस्‍लाम और कट्टर इस्‍लामि‍यों को सपोर्ट करती है। देश की तीसरी सबसे बड़ी राजनीति‍क पार्टी का भी यही एजेंडा है। बांग्‍लादेश सरकार इस्‍लाम की आलोचना करने वालों के खि‍लाफ पहले ही कार्रवाई कर चुकी है। ऐसा लगता है कि बांग्‍लादेश में ज्‍यादातर लोग इस्‍लाम की रक्षा करने की कोशि‍श कर रहे हैं। इस्‍लाम विकलांग हो गया है और बगैर मदद के जिंदा नहीं रह सकता।'

पैगाम इस्लाम

अगर आपके पास थोडा भी समय हो तो पाकिस्तान से आए हुए इस पत्र-जो की भारत की 3.5 लाख वहाबी मस्जीदो मे हर जुम्मे को पढ़ा जाता है ...ज़रूर पढ़ाए...और आप ना भी पढ़े तो कम से कम अपने मासूम बच्चों को ज़रूर पढ़ाएँ... ताकि वो अपनी जिंदगी..एक मासूम बनकर ना जिएं |
.............................................................
उर्दू फारसी पत्र की सत्यप्रति
786
पैगाम इस्लाम 30/11/2008
आप सबको गुजारिश है कि हमने हिन्दुस्तान पर 800 साल हुकूमत की है। अब भी हमारी हुकूमत चलती है पर सीधी तरह से नहीं। सब पार्टियां और इनके काफिर नेता हमारे इशारे पर नाचते हैं। हमको आज मदरसों, मस्जिदों और हज के लिये पैसा मिलता है। 2004 के चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी मगर हमारी पूरी हुकूमत तो तब मानी जायेगी जब पूरा हिन्दुस्तान इस्लाम के झण्डे के नीचे होगा। इसलिये हर मुसलमान का फर्ज है कि खाना जंगी के लिये तैयार रहें। इसके लिये हथियारों के अलावा बम्ब बनाना सीखें और कुरान के 24 आयतें रोज पढ़ें और उसी के मुताबिक काफिरों के मारने, जलाने और धोखे से पकड़ने का काम सरंजाम दें और उनको लूट और उनकी औरतों को भगा कर शादी करें। गोयह सिलसिला 70 साल से चल रहा है। पूरा जोर तब लगायें जब खाना जंगी के लिये आईएसआई और सिमी के लिये हुकुम देंगे। हर मुसलमान को दूसरा कलमा रोज पढ़ना चाहिये। वो यह है- हंस के लिये लिया है पाकिस्तान और लड़के लेंगे हिन्दुस्तान। अगरचे मदरसा जैल बातों पर आप लोग चल रहे हो फिर भी तबज्जो दें।
1-बिजनौर यू0पी0 फार्मूलाः- यहां पर मुसलमान जवान लड़के हिन्दुओं से दोस्ती करके अपने घर बुलाकर मछली, मुर्गा खिलाते हैं और फिर काफिरों के घर उनकी औरतों से यारी करके फंसाते हैं। ये औरतें मुसलमानों को माल भी खिलाती हैं और पैसा भी देती हैं। बहुत सी काफिर लड़कियों ने मुसलमानों से शादी कर ली है। वाह अल्ला तेरा शुक्र है। औरत को ताज चाहिये न तख्त लौंडा चाहिये सख्त।

2-बोतल फार्मूला- गरीब बस्तियों में काफिरों को ज्यादा शराब पिला कर नामर्द बनाओ और उनकी औरतों से ऐश करो। 9 करोड़ चमार वगैरा तो मुसलमानों से मिल चुके हैं और उनकी औरतें तो आराम से मुसलमानों के बगल में आ जाती हैं।

3:- चोरी डकैती- काफिरों के घरों में धोखा देकर चोरियां करो उनके खेतों की फसल काटो और उनके जानवरों की भी चोरी करो।

4-
शहरी फार्मूला-(1) मुसलमान अकल से काम लें, अपने छोटे लड़कों को काफिरों के घर नौकर रखो और 25/25 बच्चे कैसे पालोगे, 8/10 साल के बाद आपके बच्चे जवान होकर घर की हिन्दू औरतों से दोस्ती करेंगे और ऐश के साथ-साथ पैसा भी खूब मारेंगे।

शहरी फार्मूला-(2)मुसलमान जवान नौकर, ड्राइवर, खानसामा, रोटी पकाने वाला, माली, चैकीदार बन हिन्दू नामों से रहो और मौका मिलते ही उपर वाली बातों पर अमल करें। इसके अलावा उनकी गाड़ियों, स्कूटरों वगैरा भी चोरी कर सकते हैं। ये शहर के इमाम से हर तरह के उस्तादों का पता लग जायेगा। काफिरों को जब पता लगा अपनी औरतों के बारे में पता लगा तो उन्होंने नौकरी से निकालने की कोशिश की तो औरतें ही कहने लगी-अच्छा भला ईमानदारी से काम करता है इसे नौकरी से क्यों निकालते हो। कई बार औरतें मुसलमानों के साथ भाग गईं। कई मुसलमान निकाले जाने के बाद दिन में जब काफिर घर पर नहीं होते आकर ऐश, ईशरत करते हैं। माल खाते हैं और पैसे भी ले जाते हैं। या अल्ला तेरा शुकर है तूने किसलिये हिन्दू को अंधा बनाकर रखा है, जिसको पैसा कमाने के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता। ये इस्लाम की जीत है।

जेहाद- खाना जंगी के जेहाद में यदि मुसलमान शहीद होगा तो उसे जन्नत मिलेगी, अगर जिन्दा बचता है तो हिन्दुस्तान के काफिरों की सारी जायदादें मुसलमानों को मिलेंगी और सारी हिन्दू औरतें भी मिलेंगी तो यह भी जन्नत होगी। जैसे पाकिस्तान, कश्मीर और बांग्लादेश की सब कोठियां बंग्ले मुसलमानों को मिले थे। जेहाद के लिये 2 लाख सीमी के जवान 1 लाख अलकायदा के लिये मुसलमान तैयार हैं। अब हम 20 करोड़ हो गये हैं इसके अलावा 5 करोड़ बंग्लादेशी जिसमें 1 लाख टेररिस्ट हैं। इसलिये घबराने की जरूरत नही है। हिन्दुस्तान की मिलिट्री में भी काफी मुसलमान हैं और बहुत से तो हिन्दू नामों से भर्ती हैं। पुलिस में भी काफी मुसलमान हैं और वक्त आने पर काफिरों को दोजख पहुचायेंगे।

आम हिन्दू लोगों में मुसलमानों के लिय नरम रूख है जिसकी वजह उपर बतायें है हिन्दू औरतों से दोस्ती है। केरल, मद्रास और हैदराबाद में काफी असलाह पाकिस्तान और अरब मुल्कों से आ चुका है। बिहार में चीन और बांग्लादेश से 60 हजार एके-47 आ चुकी हैं। इसलिये लाल किला पर झण्डा जल्दी झूलेगा। अरब मुल्कों में हिन्दू औरतों को नर्स, आया, खाना बनाने वाली बनाकर ज्यादा से जयादा भेजें। अच्छी तनख्वाह के लालच में गरीब व दरम्यान घर की लड़कियां खुशी से जाती हैं और वहां जाकर रात को सारी की सारी अरबों के पास सो जाती हैं और मुसलमानों की आबादी बढ़ाने में काफी मददगार हैं। हिन्दू लड़की से शादी, हिन्दू लड़की जो भगाकर लायी जाये उसे 2 दिन भूखा रखें फिर अच्छा-अच्छा खाना दें। उनकी सतत या खतना जरूर करायें। अगर उसके रिश्तेदार कोर्ट केश करें तो कोर्ट में ले जाने से पहले 50/60 बंदूकों के हथियार दिखायें और खबरदार करें। अगर हमारे खिलाफ बयान दिये तो तेरे भाई और खानदान को भून देंगे। ऐसी लड़की को वश में करने वाले ताबीज पहनाना न भूलें। ये भी कमाल का काम करता है।

हरियाणा के मुसलमानों का कमाल- गांधी की मेहरबानी से मेवात के मुसलमान पाकिस्तान नही गये थे। पिछले 15 सालों से40 लाख मुसलमान बिहार, यूपी, राजस्थान में आकर बस गये हैं। 70 फीसदी तो हिन्दू नामों से रह रहे हैं और उपर लिखी बाते अच्छी तरह सरजाम दे रहे हैं। पंजाब में भी लाखों मुसलमान पहुंच चुका है। वक्त आने पर ये सब जेहाद के लिये कुरान के मुताबिक काफिरों को दोजख पहुचाने के लिये तैयार हैं। अल्ला हमारे साथ है।

काफिरों का बंटवारा- वैसे तो हिन्दू जांत-पांत में बंटा है आप लोग चमारों के दिमाग में हिन्दुओं के लिये खूब नफरत भरें जिन्होंने इनके उपर सैकड़ों साल जुल्म ढाये। मुसलमानों शाबास।

आसाम और कश्मीर- आसाम और कश्मीर पर तो मुसलमानों का कब्जा हो चुका है।सारे बुतखाने तोड़ दिये गये हैं। महलों व सड़कों का नाम बदलकर जिन्हा रोड व अली रोड कर दिये हैं। आसाम पर भी काफी हद तक मुसलमानों का कब्जा है। काफिरों का कत्ल करके दहशत फैला कर भगाया जा रहा है। इस तरह कश्मीर की तरह हिन्दुओं की जायदाद व औरतें अल्ला की फजल से हम मुसलमानों को मिल रही हैं। सारे हिन्दुस्तान को इस्लाम के झंडे के नीचे लाने के लिये संघ जैल है।

पाकिस्तानी फार्मूला- सन् 1947 में हमारे जवानों ने काफिरों के छोटे-छोटे बच्चे आसमान में उछालकर नैजे व भाले पर लिये थे। इनकी औरतों के साथ 10/10 मुसलमानों ने जिन्हा किया था और अल्हादानी लोहे की नोहर गर्म करके लाल-लाल उनके थनों पर चिपकाई गई थी। कई औरतों के थन काट दिये थे। उनके बच्चों को मारकर पकाकर खिलाया भी था। राजीव गांधी के राज में फार्मूला काश्मीर में आजमाया गया। नतीजा यह निकला कि साढ़े तीन लाख पण्डितों से कश्मीर 2 दिन में खाली हो गया और करोड़ों बल्कि अरबों रूपये की काफिरों की जायदाद पर मुसलमानों का कब्जा हो गया।

जेहाद में औरतों के लिये खास दस्ता- मुसलमान जवान का यह दस्ता स्कूटर कार छोटे ट्रक वगैरा पर हिन्दू देवताओं की फोटों चिपकाकर रखें। ड्राइवर व कंडक्टर हिन्दू वेश में हो। जब अफरा-तफरी फैले तो काफिरों को जिनमें औरतें ज्यादा हों मुसलमान मोहल्लों में भगाकर ले जायें। औरतें को वहां पहुंचा दी जायें। काफिर मर्द और बच्चे मारकर दोजख भेज दें। ये नुस्खा 40 साल पहले अहमदाबाद में आजमाया गया था, उस समय वाई वी चैहान होम मिनिस्टर थे। इसी दस्ते के लिये जयपुर फार्मूला कई साल पहले हमारे मुसलमाना जवानों ने जयपुर में फसाद शुरू किये थे और हिन्दू घरों से व लड़कियों के स्कूलों से उठा ली थी। 6 माह बाद जब 2/3 लड़कियों ने अपने घर खबर भेजी तो खानदान के उन लोगों ने उन लड़कियों को वापस लेने से इन्कार कर दिया। 1948 में जब हिन्दू मिलिट्री, हिन्दू औरतों को निकालकर हिन्दुस्तान लाई तो उनके खानदान वालों ने लेने से इंकार कर दिया। इस वास्ते कुछ ने तो खुदकुशी कर ली। ये सब मुसलमानों के लिये अच्छा हुआ। इसके लिये हिन्दुओं की दाद देनी चाहिये।

मुसलमानों और हिन्दुओं के मरने की निस्बतः- जब पाकिस्तान बना तो एक मुसलमान शहीद हुआ था। काफिर मारे गये थे अब तो बम्बों और एके 47 का जमाना है, अल्ला ने चाहा तो एक मुसलमान के मारे जाने पर 100 हिन्दू मरेंगे अल्ला हमारे साथ है। मुसलमानों को अल्ला का शुक्रगुजार होना चाहिये कि वो सब भूल गयें अल्ला ने उसका दिमाग बड़ा कमजोर दिया है। इसलिये हमने 800 साल हुकूमत की और इन्सा अल्ला फिर करेंगे। इस बात से साबित होता है कि अल्ला भी चाहता है कि मुसलमानों को हिन्दुस्तान की हुकूमत मिले और हिन्दुओं की औरत को जन्नत मिले। चीन, पाकिस्तान और बंग्लादेश से हथियार व नकली नोट हम मुसलमानों की मदद के लिये अल्ला भिजवा रहा है। हिन्दू अफसर और पुलिस वाले इसी पैसे से अंधे बना दिये जाते हैं। यह खत मस्जिदों में जुमे के रोज सब मुसलमानों को सुनाया जाये। खाना जंगी के वक्त पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश व नेपाल भी हमारी मदद के लिये हिन्दुस्तान पर हमला बोल देंगे। नेपाल में काफी मंदिर तोड़ दिये गये हैं और आईएसआई की मदद से काफी लोग मुसलमान हो गये हैं।

कलावा मोटर साईकिल-मुसलमान जवानों को चाहिये अपने हाथ में कलावा बांध कर अपना नाम बदलकर हिन्दू नाम अपना लें। मोटर साईकिल पर सवार होकर हिन्दू मोहल्ले में कालेजों और स्कूलों के पास खड़े होकर हिन्दू लड़कियों से इश्क लड़ायें। होटलों में भी खुद भी ऐश करें और उनसे काल गर्ल्‍स का काम लें। इस कमाई से कुछ हिस्सा हथियारों पर खर्च करें। कारों वाले भाई जान भी करें। अरब मुल्कों में इसके लिये काफी पैसा हम तक पहुंच रहा है।

भाजपा का डर था कि वो कुरान की 24 आयतें कहीं छापकर नहीं बांटे मगर अल्ला की मेहरबानी से वो अंधे हो गये और नहीं बांट सके। अल्ला तेरा शुकर है कि भूल कर भी सिखों को न छेड़ें। ये जालिम होते हैं बल्कि चक्कर चलाकर उनको हिन्दुओं से दूर रखें। 80 साल के ये सिंधी पंजाबी बड़े नेक इंसान हैं, गरीब मुसलमानों की मदद करते हैं। ये खत किसी हिन्दू को न दिखायें।
आपका खादिम
सुलतान मियाँ कटघर – मुरादाबाद यू0पी0
(यह पत्र जिला मेवात, बड़खल चैक से प्राप्त हुआ

क्या आप जानते हैं कि जिहाद क्या है...?



क्योंकि.... आज लगभग सारा विश्व आतंकवाद से पीड़ित है और.... पूरी दुनिया में आतंकवादियों द्वारा जिहाद के नाम पर बेगुनाहों का खून बहाया जा रहा है.....!

लेकिन बहुत दुखद तौर पर.... इन आतंकवादी घटनाओं को ""कुछ बहके हुए युवकों "" का काम बता दिया जाता है...... जबकि, आतंकवादी खुलेआम डंके की चोट पर कहते हैं कि..... उन्हें गर्व है कि.... उन्होंने जिहाद में हिस्सा लिया ...!

इसीलिए हमें यह जानना बेहद जरुरी हो जाता है कि..... आखिर जिहाद है क्या....????

दरअसल.... जिस किसी भी..... गैरमुस्लिम देशों के किसी एक क्षेत्र में मुस्लिम बहुसंख्या है, वे क्षेत्र गैरमुस्लिम देश से अलग होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ।

उदाहरण के लिए..... पुराने यूगोस्लाविया के भीतर से बोस्निया और कोसावो का जन्म भारी खून-खराबे के साथ हुआ......!

और.... सोवियत रूस के विघटन में से भी मध्य एशिया में ६ मुस्लिम राज्य प्रगट हुए....।
यहाँ तक कि..... मुस्लिमबहुल चेचन्या गैरमुस्लिम रूस से मुक्ति के लिए खूनी जिहाद चला रहा है... और, फिलिपीन्स का खूनी मुस्लिमबहुल दक्षिणी भाग लम्बे समय से जिहाद में लिप्त है।

यहाँ तक कि..... चीन का सिंक्यांग प्रदेश मुस्लिम बहुल होने के कारण अशांति का गढ़ बना हुआ है।

और फिर दूर कहाँ जाएँ.......अपने ही देश भारत में कश्मीर में क्या हो रहा है......?????

1990 से वहां के मुस्लिम बहुमत ने.... निजामे मुस्तफा अर्थात् इस्लामी शासन की स्थापना के लिए..... सहस्राब्दियों से कश्मीर के मूल हिन्दू निवासियों को..... बिना किसी उत्तेजना और अपराध के खूनी कत्लेआम के द्वारा अपनी मातृभूमि छोड़ने के लिए विवश कर दिया है और वे अपने ही देश में हिन्दू सरकारों के होते हुए भी शरणार्थी बनकर भटक रहे हौं।

ये चेहरा तो था ..... गैर इस्लामिक देशों का........

लेकिन..... जिहाद का एक दूसरा चेहरा भी है..... जो मुस्लिम राज्या के भीतर दिखाई दे रहा है।

प्रत्येक मुस्लिम देश के भीतर ... जिहादी.....अपनी ही मुस्लिम सरकार के विरुद्ध चरमपंथी मुस्लिम आंदोलन चल रहे हैं .....चाहे वह अल्जीरिया हो या मिस्र, चाहे ईरान हो या तुर्की या फिर अफगानिस्तान अथवा पाकिस्तान।

असल में...... चरमपंथियों की मांग है कि उनके देश में शरीयत के आधार पर शासन चलाया जाना चाहिए......।

और...... शरीयत का अर्थ है -कुरान, हदीस और सुन्ना पर आधारित शासन व्यवस्था।

इस शासन व्यवस्था का नमूना हमें सउदी अरब में देखने को मिल सकता है या कुछ वर्ष पूर्व अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने बामियान में दो हजार साल से खड़ी बुद्ध प्रतिमाओं का ध्वंस करके प्रस्तत किया था। उन प्रतिमाओं को तोड़ने का कोई तात्कालिक कारण न होते हुए भी तालिबान शासकों को उनका विध्वंस आवश्यक लगा, क्याकि शरीयत की दृष्टि से देव प्रतिमाओं का अस्तित्व कुफ्र है और कुफ्र को मिटाना सच्चे इस्लाम का कर्तव्य है।

शरियत कानून होने के कारण ......सउदी अरब में अन्य धर्मावलिम्बयों को अपनी धार्मिक श्रद्धाओं और प्रतीकों की सार्वजनिक अभिव्यिक्त की छूट नहीं है और वहां के नागरिकों से शरीयत का कड़ाई से पालन कराने के लिए मुताबा नामक नैतिक पुलिस की आंखें और डंडा हर जगह मौजूद है।

शरीयत के प्रति इस अंधश्रद्धा ने पूरे विश्व को मुस्लिम और गैर-मुस्लिम में विभाजित कर दिया है... और..... इसी को शरीयत की भाषा में ""मोमिन बनाम काफिर"" या जिम्मी कहा जाता है।

और...... इसी विभाजन में से राजनीतिक धरातल पर 'दारुल हरब' और 'दारुल इस्लाम' की अवधारणा पैदा हुई.. इसके तहत प्रत्येक दारुल हरब को दारुल इस्लाम में परिणत करना प्रत्येक मुसलमान का पवित्र कर्तव्य है।

दारुल हरब को दारुल इस्लाम में परिणत करने का प्रयास को ही........"""" जिहाद"""" कहा जाता है...।

इस तरह..... जिहादी तीन स्तरों पर काम करता है।

एक है..... स्वयं को सच्चा मुसलमान बनाना अर्थात् शरीयत के सांचे में ढालना।

दूसरा है...... काफिरों को इस्लाम कबूल करने के लिए प्रेरित या विवश करना..!

और, तीसरा है .......काफिरों या जिम्मियों के मजहबी युद्ध लड़ना.... और, उन्हें इस्लाम के सामने पराजय स्वीकार करने के लिए मजबूर करना।

अब यही विचारधारा ......... कहीं भी मुसलमानों को गैर मुसलमानों के साथ शांति और सौहार्द के साथ जीने नहीं देती... क्योंकि... मुस्लिम अस्मिता की रक्षा के लिए उसका मत परिवर्तन या विनाश पुण्य कर्म है।

और..... यह जुनून मुस्लिम युवकों में इतना गहरा व्याप्त है कि उसमें से सैकड़ों की संख्या में फिदायीन या आत्मघाती युवक पैदा हो रहे हैं....।

हालाँकि.....किसी बड़े उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की बलि देने के लिए तैयार रहना बहुत ही ऊँची स्थिति और वन्दनीय है... किन्तु बिना कारण के निर्दोष स्त्री-बच्चा की हत्या केवल इसलिए कर देना ... क्योंकि.... वे गैरमुस्लिम या काफिर हैं , यह कौन सा पुण्य कर्म है..... ?????

और , इसके लिए आत्महत्या को कैसे वन्दनीय माना जाए..?????

दरअसल..... ऐसा तर्कहीन जनून केवल अंध श्रद्धा में से ही पैदा हो सकता है... और, कुरान और हदीस के प्रति अंधश्रद्धा में से ही यह जनून पैदा हो रहा है.. जिसमे गाजी बनना बड़ा पुण्य का काम माना गया है।

कुरान और हदीस के प्रति यह अंध श्रद्धा ही ....... दूसरों के श्रद्धा केन्द्रा को ध्वस्त करने की, गैरमुस्लिम शासित प्रदेश से मुस्लिम शासित क्षेत्र में हिजरत (निष्क्रमण) करने और गैर-मुस्लिमों के विरुद्ध लगातार सशस्त्र युद्ध करने की प्रेरणा देती है।

क्योंकि....पैगम्बर मुहम्मद का स्वयं का जीवन प्रत्येक मुस्लिम के लिए प्रमाण है... जिन्होंने मक्का से मदीना को हिजरत का पहला उदाहरण प्रस्तत किया।

सबसे पहले.... मुहम्मद ने ही जीवनभर गैर-मुस्लिमों के विरुद्ध युद्ध लड़ने का खूनी अध्याय लिखा और उन्हाने ही सन् ६३० में मक्का पर अधिकार स्थापित होने के बाद बिना कारण काबा में स्थापित ३६० देव प्रतिमाओं का अपने हाथों विध्वंस कर ...... खूनी जिहाद की शुरुआत की थी...!

पाकिस्‍तान में हिन्दू लड़कियां उठा ले जाते हैं, जबरन कलमा पढ़वाते हैं


नई दिल्ली। ‘जान से मार दो, लेकिन पाकिस्तान वापस मत भेजो।’ ये दर्दनाक अपील है उन अल्पसंख्यक हिंदू परिवारों की जो अपना मुल्क पाकिस्तान छोड़कर भारत में शरण लिए हुए हैं। पाकिस्‍तान छोड़कर भारत आए सोना दास के मुताबिक वहां हिंदू परिवारों पर बेइंतहा जुल्म ढहाए जाते हैं। हिंदू अपने धर्म को नहीं मान सकते। उन्‍हें अपनों बच्‍चों को पढ़ाने की भी आजादी नहीं है। मजबूरी में हिंदू बच्‍चों को अपने मदरसे में ही पढ़ाना होता है। अंतिम संस्कार शव को जलाकर नहीं बल्कि दफना कर करना होता है। औरतें मांग में सिंदूर नहीं लगा सकतीं। जवान बहू-बेटियों पर बुरी नजर रखी जाती है।

धर्म परिवर्तन के लिए किया जाता है बेड़ियों में कैद

धर्म परिवर्तन के लिए बेड़ियों में कैद किया जाता है। लड़कियों की जबरन मुस्लिमों से शादी कराई जाती है। अकेले कराची में हिंदू लड़कियों की जबरन शादी के हर महीने 15 से 20 मामले सामने आते हैं। पाकिस्‍तान से आए इन हिंदुओं का कहना है कि पड़ोसी मुल्क में उनके साथ सौतेला बर्ताव किया जाता है। लूटपाट और डकैती तो आम बात है। दबंग उनकी बहन-बेटियों की इज्जत पर भी बुरी नजर रखते हैं। यही वजह है कि ये लोग अपना घर-बार, जमीन-जायदाद छोड़कर भारत में स्थायी तौर पर शरण मांग रहे हैं। इन लोगों का वीजा 8 अप्रैल को खत्म हो गया था और सरकार ने इन सभी का वीजा फिलहाल एक महीने के लिए बढ़ा दिया है, लेकिन सवाल ये कि आखिर इन लोगों का भविष्य क्या होगा?

480 लोग आए हैं पाकिस्‍तान से

पाकिस्तान में हिंदू परिवारों पर हो रहे जुल्म से परेशान 480 लोग तीर्थ यात्रा के लिए वीजा के जरिए एक महीने पहले भारत आए थे और अब स्थायी तौर पर यहीं रहने की इजाजत मांग रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि वहां जाने से अच्छा है कि हम यहीं पर मर जाएं। इनमें से हर एक शख्स के पास सुनाने को दर्द भरी दास्तान है। यशोदा का कहना है कि हमें हिंदी नहीं पढ़ा के बल्कि कलमा पढ़ने को बोलते थे। माला का कहना है कि वहां रहने का माहौल नहीं है। एक महीने पहले धार्मिक वीजा पर भारत आए ये 480 लोग दक्षिणी दिल्ली के बिजवासन इलाके के एक स्कूल में पनाह लिए हुए हैं। पाकिस्तान में अपना घर बार छोड़ ये लोग यहां भले खानाबदोश की तरह जीने को मजबूर हैं, लेकिन खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

भारत सरकार करती रही है नजरअंदाज

पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश में रह रहे हिंदू अल्‍पसंख्‍यकों की परेशानी के बारे में भारत सरकार भलि भांति अवगत है। आये दिन वहां हिंदू कारोबारियों को अगवा किया जाता है। किसी से रंगदारी मांगी जाती है तो किसी को सिर कलम कर दिया जाता है। किसी की बेटी को जबरन उठाकर ले जाया जाता है और धर्म परिवर्तन कराकर शादी करा दी जाती है और इसके खिलाफ अगर कोई आवाज उठाता है तो पूरे परिवार की जान पर बन आती है। ऐसे कई मामले पाकिस्‍तान की अदालतों में चल रहे हैं, लेकिन भारत सरकार ने कभी इस मसले को ठोस तरीके से पाकिस्‍तान के सामने नहीं उठाया। ये पहली बार नहीं है जब पाकिस्‍तान से आए हिंदू लौटना नहीं चाहते हैं बल्कि इससे पहले भी हजारों लोग वहां से आ चुके हैं, लेकिन सवाल ये है कि वो लोग जो वहां रह रहे हैं, उनकी सुरक्षा के लिए भारत सरकार क्‍या कोई कदम उठा रही है?

इस्लाम शांति या आतंक ?

मुस्लिम नेता हमेशा लोगों के दिमागों में यही बात ठूंसने की कोशिश करते रहते हैं कि इस्लाम एक शांति का धर्म है . और उसका आतंकवाद से कोई सम्बन्ध नहीं है .लेकिब जब भी कोई मुस्लिम आतंकवादी पकड़ा जाता है , तो यह मुल्ले मौलवी और नेता चुप्पी साध लेते .या कहने लगते हैं कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता है .लेकिन मुस्लिम आतंकवादियों को बचाने के लिए मानव अधिकारों की दुहाई देकर दिग्विजय सिंह और तीस्ता सीतल वाड जैसे लोग आगे हो जाते हैं .वास्तव में ऐसे लोग वही होते हैं , जो यातो वर्ण संकर यानि दोगले होते हैं , या जिनको मुस्लिम देशों से धन मिलता है ,या फिर वह लोग होते हैं जिनको इस्लाम और मुसलमानों की मानसिकता के बारे में ठीक से ज्ञान नहीं होता है .चूँकि लोगों को इस्लाम का सही ज्ञान देना बहुत जरूरी है ,इसलिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी जा रही हैं .जो कुरान और हदीसों पर आधारित हैं . क्योंकि मुसलमान इन्हीं का पालन करते हैं .

1-असली इस्लाम आतंकवाद
कुछ मुर्ख लोग इस्लामी आतंकवाद का कारण, मुसलमानों पर किये गए , अन्याय , अत्याचार , भेदभाव और उपेक्षा को बताते हैं , लेकिन मुसलमान आतंकवाद को इस्लाम का शुद्ध रूप मान उस में आनंद प्राप्त करते है , जैसा कि ईरान के मुल्ला आयातुलाह खुमैनी ने कहा है .
इस्लाम का असली आनंद लोगों कि हत्या करना और अल्लाह के लिए मर जाने ने है .
“The purest joy in Islam is to kill and be killed for Allah “
“وأنقى الفرح في الإسلام هو القتل، ويقتل في سبيل الله “

2-तलवार के साये में जन्नत
अब्दुल्लाह बिन किस ने कहा , एक बार रसूल एक व्यक्ति से लड़ रहे थे . तो उन्होंने अपनी तलवार लहराते हुए चिल्ला कर कहा , सुन लो जन्नत का दरवाजा तलवारों के साये तले होता है . यह सुनते ही अबू मूसा ने म्यान से तलवार निकाली, और नंगी तलवार लेकर रसूल के प्रतिद्वंदी की तरफ दौड़ा और उसे क़त्ल कर दिया “.सही मुस्लिम -किताब 20 हदीस 4681
क्योकि इस्लाम की मान्यता है , जन्नत का द्वार तलवारों के साये के तले होता है .इसलिए मुसलमानों के लिए हत्याएं करना और जिहाद करना जरुरी है चाहे किसी ने उनका कुछ भी बुरा नहीं किया हो .

3-मुसलमान क्यों लड़ते रहते हैं
मुसलमान किसी भी देश में रहें हमेशा फसाद करते रहते है , कई लोग इसका कारण राजनीतिक व्यवस्था और भ्रष्ट सरकारें बताते हैं , लेकिन असली कारण कुरान है , जो कहती है ,

وَأَعِدُّواْ لَهُم مَّا اسْتَطَعْتُم مِّن قُوَّةٍ وَمِن رِّبَاطِ الْخَيْلِ تُرْهِبُونَ بِهِ عَدْوَّ اللّهِ وَعَدُوَّكُمْ وَآخَرِينَ مِن دُونِهِمْ لاَ تَعْلَمُونَهُمُ اللّهُ يَعْلَمُهُمْ وَمَا تُنفِقُواْ مِن شَيْءٍ فِي سَبِيلِ اللّهِ يُوَفَّ إِلَيْكُمْ وَأَنتُمْ لاَ تُظْلَمُونَ. سورة الأنفال- Al-Anfâl -8:60
तुम आसपास के सभी लोगों से लड़ते रहो , चाहे तुम उनको जानते भी नहीं हो , और युद्ध के लिए सभी साधनों ( टैंक , हवाई जहाज , मिसाइल ,और तोपें ) का प्रयोग करो .ताकि लोग भयभीत रहें .और लड़ाई के लिए तुम जो भी खर्चा करोगे अलह उसकी पूर्ति कर देगा , और अल्लाह अन्याय नहीं करता ” सूरा -अनफ़ाल 8 :60

4-जिहादी महान हैं
भले दुनिया बहार के लोग और सुप्रीम कोर्ट भी जिहादी आतंकवादियों को अपराधी साबित कर दे लेकिन मुसलमान उनको महान और व्यक्ति और निर्दोष मानते रहेंगे . क्योंकि अल्लाह की नजर में उनका दर्जा सबसे बड़ा है .
जो लोग ईमान लाये और अल्लाह की राह में अपनी जानों से जिहाद किया अल्लाह के यहाँ सिर्फ उनके लिए बड़ा दर्जा है ” सूरा – तौबा 9 :20
यही कारण है कि अजमल कसाब विरुद्ध सभी प्रमाण होने के बाद भी एक भी मुसलमान उसे अपराधी नहीं मानता.

5-अल्लाह का सनकी न्याय
मुसलमानों का दावा है कि उनका अल्लाह बड़ा न्यायकारी और सर्वज्ञ है , लेकिन अल्लाह पूरा सनकी ,और पागल है , क्योंकि वह लोगों के कर्मो का फैसला कर्मो के गुण दोषों के आधार नहीं बल्कि कर्मों का वजन तौल कर करता है .
हम कियामत के दिन इंसाफ का तराजू रखेंगे और हिसाब करने के लिए हम काफी हैं ” सूरा -अल अम्बिया 21 :47
अल्लाह के इसी सनकी इंसाफ के अनुसार आतंकवादी तौल पर सभी मुसलमानों पर भारी पड़ते है ,

6-जिहादी सब पर भारी है
अबू हुरैरा ने कहा , रसूल ने कहा ,जब अल्लाह लोगों के कर्मो को तौलेगा , तो ,जो लोग नमाजें पढ़ते हैं और रोजे रखते हैं ,उनकी तुलना में जो जिहाद करते है और लोगों को मारते हैं , या खुद मर जाते हैं , उनका वजन अधिक निकलेगा . और अल्लाह उन्हीं जो जन्नत में जाने देगा .”
बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 46

7-आतंक से शांति
अबू हुरैरा ने कहा कि एक बार रसूल ने कहा , मैंने हमेशा आतंक से ही जीत हासिल कि है . और जब में सो रहा था अल्लाह ने मुझे दुनिया के सभी खजानों कि चाभी दे कर कहा था , अपने लोगों से कहो वह दुनिया की सम्पूर्ण दौलत लूट कर तुम्हारे सामने रख दें , और दूसरों के लिए कुछ भी नहीं छोड़ें “
बुखारी – जिल्द 4 किताब 52 हदीस 220

मुसलमानों कि वकालत करने वाले लोगों को पता होना चाहिए कि इस्लाम विश्व में शांति नहीं , बल्कि आतंकवाद से मरघट जैसा सन्नाटा फैलाना चाहता है .

इस्लाम की सच्चाई !!!



जानिए की किस तरह से मुस्लिम जिहाद फैलाते है:

जानिए की भारत के इतिहास में कैसे करोरो हिन्दुओ, बौद्धों, सिखों को इस्लाम के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया:

जानिए की इस्लाम के नाम पर विश्व के सबसे बड़े शैक्छिक संसथान भारत के नालंदा विश्वविधालय को किस तरह से नस्त किया गया:



जानिये की कश्मीर को किस तरह से इस्लाम के नाम पर तबाह कर दिया गया:

डॉ जाकिर नाइक के झूठ का भंडाफोड़



डॉ जाकिर नाइक हजारों की भीड़ में इस्लाम और बाकी मजाहिब (धर्मों) पर अक्सर बोलते देखे जाते हैं. वे खुद इस बात को बड़े फख्र से पेश करते हैं कि वो इस्लाम और बाकी मजहबों के तालिब इ इल्म (विद्यार्थी) हैं. वैसे कभी कभी वो खुद को इस इस बात में आलिम भी कहते हैं! असल में भी जब जाकिर भाई कुरान, हदीसों और दूसरी किताबों के हवाले (प्रमाण) बिना किसी किताब की मदद से केवल अपनी सनसनीखेज याददाश्त से देते हैं तो मौके पर ही हज़ारों को अपना मुरीद बना लेते हैं. हम खुद जाकिर भाईकी अधिकतर बातों से इतेफाक (सहमति) नहीं रखते थे लेकिन इस्लाम के लिए जाकिर भाई की कोशिशें काबिल ए तारीफ़ जरूर समझते थे.

हम अब तक यही सोच रहे थे कि जाकिर भाई इस्लाम की खिदमत में जी जान से हाजिर हैं. इसके लिए उन्होंने न जाने कुरान, हदीस, सीरत, वेद, पुराण, उपनिषद्, भगवद गीता, मनुस्मृति, महाभारत, तौरेत, बाईबल, धम्म पद, गुरुग्रंथ साहिब, और न जाने क्या कुछ न सिर्फ पढ़ डाला है बल्कि याद भी कर लिया है. दुनिया की हर मजहबी किताब में मुहम्मद (सल्लo) को ढूँढने का दावाभी किया है. इसके लिए उन्होंने ये सारी किताबें कितनी बारीकी से पढ़ी होंगी यह सोचनाकोई मुश्किल काम नहीं. पूरी दुनिया में इस्लाम का झंडा बुलंद करने की गरज (आवश्यकता)से सदा इधर उधर तकरीरें (भाषण) करते हुए भी इतना सब पढ़ डाला, यह अपने आप में एक सनसनी पैदा करने वाली बात है. हम यही सोचते हुए अल्लाह से दुआ कर रहे थे कि जाकिर भाई जैसी काबिलियत हमें भी बख्शें ताकि हम भी अपने मजहब की खिदमत इसी तरह कर सकें !

हम ये सब सोचते हुए दिन ही बिता रहे थे कि अचानक हम एक किताब से रूबरू हुए. इस का नाम था “Muhammad in World scriptures” मतलब “दुनियावी किताबों में मुहम्मद” मतलब (विश्वकी पुस्तकों में मुहम्मद). इसके लिखने वाले जनाब मौलाना अब्दुल हक विद्यार्थी हैं, जिन्होंने इसे १९३६ में लिखा था. जब इसे पढ़ा तो हम कुछ देर के लिए हैरान रह गए. हमें झटका सा लगा.

जाकिर भाई के सारे दावे लफ्ज़ दर लफ्ज़ (शब्दशः) इस किताब में मिलने लगे. जब इसे पूरापढ़ा तो हमारी हैरानी का ठिकाना न रहा जब हमनेदेखा कि मुहम्मद (सल्लo) के दुनिया की और मजहबी किताबों में होने के बारे में जाकिर भाई का सारा काम इस किताब की ज्यों की त्यों नक़ल ही है! इससे बढ़कर यह कि जाकिर भाई ने कहींभी अपनी किसी किताब, तक़रीर, या लेख में इन हजरत अब्दुल हक का नाम भी नहीं लिया, उनका शुक्रिया अदा करना तो बहुत दूर रहा. इस तरह चोरी से किसी की चीज पर हक जता कर अपने नाम सेपेश करने की सजा शरियत में क्या है, यह तो हम आगे लिखेंगे. लेकिन अभी इस मामले की सबसे हैरतंगेज और पूरी मुस्लिम उम्मत का दिल दहलादेने वाली इत्तला दी जानी बाकी है.

डॉ जाकिर नाइक ने जिस मौलाना की किताब से ये बातें चुराई हैं, वो कोई ऐसा वैसा मोमिन नहीं है. वो एक ऐसे फिरके (वर्ग) से है जिसे मुसलमानों का कोई फिरका मुसलमान नहीं समझता. यहाँ तक कि उन्हें काफिरों से भी बदतर समझा जाता है और सब मुस्लिम मुल्कों में उस पर पाबंदी है. जी हाँ! यह फिरका कादियानी मुसलमानों (?) का है जिसे अहमदी भी कहा जाता है. तो बात यह है कि मौलाना अब्दुल हक, जिसकी किताब से जाकिर भाई ने चोरी की है, वो एक कादियानी/अहमदी मुसलमान है, जिसको खुद जाकिरभाई भी मुसलमान नहीं समझते! जाकिर भाई खुले तौर पर कादियानियों को काफिर बोलते हैं.

इससे पहले हम आगे कुछ लिखें, बताते चलें कि मुसलमान दोस्त क्यों कादियानियों से नफरत करते हैं. असल में कादियानी फिरका मुहम्मद साहब को आखिरी पैगम्बर नहीं समझता. यह फिरका उन्नीसवीं सदी के एक आदमी मिर्ज़ा गुलाम अहमदकादियानी ने चलाया था जिसने आम मुसलमानों कीमुखालफत (विरोध) करते हुए खुद को मसीहा कहा था और साथ ही यह भी दावा किया कि उस पर भी अल्लाह के इल्हाम उतरते हैं जैसे मुहम्मद (सल्लo) पर उतरा करते थे. तो इस तरह कादियानी मुहम्मद (सल्लo) को आखिरी पैगम्बर नहीं मानते. यही नहीं, कादियानी फिरके के लोग यह भरोसा रखते हैं कि राम, कृष्ण, बुद्ध, गुरु नानक वगैरह भी अल्लाह के पैगम्बर थे. इसके साथ ही यह फिरका कल्कि अवतार (अल्लाह का इंसान बनके धरती पर आना) को आखिरी नबी बताता है. मिर्जा गुलाम अहमद कादियानी को अपनी नबुव्वत पर इतना भरोसा था कि उसने उन लोगों को दोजख की धमकी दी जो उसमें ईमान नहीं लाये.

अब यहाँ बात आती है कि जाकिर भाई ने ऐसे आदमी की किताबों से चोरी करके मुसलमानों को गुमराह किया जो मुहम्मद को आखिरी रसूल नहीं मानता था, जो गैर कादियानियों के लिए सदा रहने वाली दोज़ख मानता था, जो अल्लाह का इंसान बनकर धरती पर आना मानता था, जो राम, कृष्ण, बुद्ध, नानक वगैरह को भी मुहम्मद की तरह ही पैगम्बर मानता था. मौलाना अब्दुल हक़ विद्यार्थी ने यह किताब लिखी ही कादियानी फिरके के सिद्धांतो को फ़ैलाने के लिए. इस कादियानी किताब से पहले आज तक किसी ने दावा नहीं किया था मुहम्मद के वेद, पुराण, धम्मपद आदि किताबो में होने का.
कादियानों के लिए तो यह बिलकुल ठीक ही है. क्योंकि इसी प्रकार वे राम, कृष्ण, बुद्ध को भी पैगम्बर साबित करते हैं. फिर उसी तरह मुहम्मद और फिर मिर्ज़ा गुलाम को भी उसी पैगम्बरी परंपरा का दूत दिखाते हैं. कादियानी फिरके के आलावा कोई और मुसलमान इस को नहीं मानता. और इसी कारण आज दुनिया के अधिकांश मुसलमान मुल्कों में कादियानी फिरके को सरकारी तौर पर भी काफिर माना जाता है. आज दुनिया का कोई आम मुसलमान काफिर कहलाना मंजूर कर सकता है लेकिन कादियानी नहीं. इसलिए एक सीधे साधे मुसलमान के साथ इससे बड़ा फरेब और कोई हो ही नहीं सकता. जाकिरनाइक अपने इस कारनामे से जिन जिन बुरी बातों के सरताज बने हैं, वे हैं-

शेष अगले भाग मे--
♣ डॉ जाकिर नाइक के झूठ का भंडाफोड़ ♣

डॉ जाकिर नाइक हजारों की भीड़ में इस्लाम और बाकी मजाहिब (धर्मों) पर अक्सर बोलते देखे जाते हैं. वे खुद इस बात को बड़े फख्र से पेश करते हैं कि वो इस्लाम और बाकी मजहबों के तालिब इ इल्म (विद्यार्थी) हैं. वैसे कभी कभी वो खुद को इस इस बात में आलिम भी कहते हैं! असल में भी जब जाकिर भाई कुरान, हदीसों और दूसरी किताबों के हवाले (प्रमाण) बिना किसी किताब की मदद से केवल अपनी सनसनीखेज याददाश्त से देते हैं तो मौके पर ही हज़ारों को अपना मुरीद बना लेते हैं. हम खुद जाकिर भाईकी अधिकतर बातों से इतेफाक (सहमति) नहीं रखते थे लेकिन इस्लाम के लिए जाकिर भाई की कोशिशें काबिल ए तारीफ़ जरूर समझते थे.

 हम अब तक यही सोच रहे थे कि जाकिर भाई इस्लाम की खिदमत में जी जान से हाजिर हैं. इसके लिए उन्होंने न जाने कुरान, हदीस, सीरत, वेद, पुराण, उपनिषद्, भगवद गीता, मनुस्मृति, महाभारत, तौरेत, बाईबल, धम्म पद, गुरुग्रंथ साहिब, और न जाने क्या कुछ न सिर्फ पढ़ डाला है बल्कि याद भी कर लिया है. दुनिया की हर मजहबी किताब में मुहम्मद (सल्लo) को ढूँढने का दावाभी किया है. इसके लिए उन्होंने ये सारी किताबें कितनी बारीकी से पढ़ी होंगी यह सोचनाकोई मुश्किल काम नहीं. पूरी दुनिया में इस्लाम का झंडा बुलंद करने की गरज (आवश्यकता)से सदा इधर उधर तकरीरें (भाषण) करते हुए भी इतना सब पढ़ डाला, यह अपने आप में एक सनसनी पैदा करने वाली बात है. हम यही सोचते हुए अल्लाह से दुआ कर रहे थे कि जाकिर भाई जैसी काबिलियत हमें भी बख्शें ताकि हम भी अपने मजहब की खिदमत इसी तरह कर सकें !

हम ये सब सोचते हुए दिन ही बिता रहे थे कि अचानक हम एक किताब से रूबरू हुए. इस का नाम था “Muhammad in World scriptures” मतलब “दुनियावी किताबों में मुहम्मद” मतलब (विश्वकी पुस्तकों में मुहम्मद). इसके लिखने वाले जनाब मौलाना अब्दुल हक विद्यार्थी हैं, जिन्होंने इसे १९३६ में लिखा था. जब इसे पढ़ा तो हम कुछ देर के लिए हैरान रह गए. हमें झटका सा लगा.

जाकिर भाई के सारे दावे लफ्ज़ दर लफ्ज़ (शब्दशः) इस किताब में मिलने लगे. जब इसे पूरापढ़ा तो हमारी हैरानी का ठिकाना न रहा जब हमनेदेखा कि मुहम्मद (सल्लo) के दुनिया की और मजहबी किताबों में होने के बारे में जाकिर भाई का सारा काम इस किताब की ज्यों की त्यों नक़ल ही है! इससे बढ़कर यह कि जाकिर भाई ने कहींभी अपनी किसी किताब, तक़रीर, या लेख में इन हजरत अब्दुल हक का नाम भी नहीं लिया, उनका शुक्रिया अदा करना तो बहुत दूर रहा. इस तरह चोरी से किसी की चीज पर हक जता कर अपने नाम सेपेश करने की सजा शरियत में क्या है, यह तो हम आगे लिखेंगे. लेकिन अभी इस मामले की सबसे हैरतंगेज और पूरी मुस्लिम उम्मत का दिल दहलादेने वाली इत्तला दी जानी बाकी है.

डॉ जाकिर नाइक ने जिस मौलाना की किताब से ये बातें चुराई हैं, वो कोई ऐसा वैसा मोमिन नहीं है. वो एक ऐसे फिरके (वर्ग) से है जिसे मुसलमानों का कोई फिरका मुसलमान नहीं समझता. यहाँ तक कि उन्हें काफिरों से भी बदतर समझा जाता है और सब मुस्लिम मुल्कों में उस पर पाबंदी है. जी हाँ! यह फिरका कादियानी मुसलमानों (?) का है जिसे अहमदी भी कहा जाता है. तो बात यह है कि मौलाना अब्दुल हक, जिसकी किताब से जाकिर भाई ने चोरी की है, वो एक कादियानी/अहमदी मुसलमान है, जिसको खुद जाकिरभाई भी मुसलमान नहीं समझते! जाकिर भाई खुले तौर पर कादियानियों को काफिर बोलते हैं.

इससे पहले हम आगे कुछ लिखें, बताते चलें कि मुसलमान दोस्त क्यों कादियानियों से नफरत करते हैं. असल में कादियानी फिरका मुहम्मद साहब को आखिरी पैगम्बर नहीं समझता. यह फिरका उन्नीसवीं सदी के एक आदमी मिर्ज़ा गुलाम अहमदकादियानी ने चलाया था जिसने आम मुसलमानों कीमुखालफत (विरोध) करते हुए खुद को मसीहा कहा था और साथ ही यह भी दावा किया कि उस पर भी अल्लाह के इल्हाम उतरते हैं जैसे मुहम्मद (सल्लo) पर उतरा करते थे. तो इस तरह कादियानी मुहम्मद (सल्लo) को आखिरी पैगम्बर नहीं मानते. यही नहीं, कादियानी फिरके के लोग यह भरोसा रखते हैं कि राम, कृष्ण, बुद्ध, गुरु नानक वगैरह भी अल्लाह के पैगम्बर थे. इसके साथ ही यह फिरका कल्कि अवतार (अल्लाह का इंसान बनके धरती पर आना) को आखिरी नबी बताता है. मिर्जा गुलाम अहमद कादियानी को अपनी नबुव्वत पर इतना भरोसा था कि उसने उन लोगों को दोजख की धमकी दी जो उसमें ईमान नहीं लाये.

अब यहाँ बात आती है कि जाकिर भाई ने ऐसे आदमी की किताबों से चोरी करके मुसलमानों को गुमराह किया जो मुहम्मद को आखिरी रसूल नहीं मानता था, जो गैर कादियानियों के लिए सदा रहने वाली दोज़ख मानता था, जो अल्लाह का इंसान बनकर धरती पर आना मानता था, जो राम, कृष्ण, बुद्ध, नानक वगैरह को भी मुहम्मद की तरह ही पैगम्बर मानता था. मौलाना अब्दुल हक़ विद्यार्थी ने यह किताब लिखी ही कादियानी फिरके के सिद्धांतो को फ़ैलाने के लिए. इस कादियानी किताब से पहले आज तक किसी ने दावा नहीं किया था मुहम्मद के वेद, पुराण, धम्मपद आदि किताबो में होने का.
कादियानों के लिए तो यह बिलकुल ठीक ही है. क्योंकि इसी प्रकार वे राम, कृष्ण, बुद्ध को भी पैगम्बर साबित करते हैं. फिर उसी तरह मुहम्मद और फिर मिर्ज़ा गुलाम को भी उसी पैगम्बरी परंपरा का दूत दिखाते हैं. कादियानी फिरके के आलावा कोई और मुसलमान इस को नहीं मानता. और इसी कारण आज दुनिया के अधिकांश मुसलमान मुल्कों में कादियानी फिरके को सरकारी तौर पर भी काफिर माना जाता है. आज दुनिया का कोई आम मुसलमान काफिर कहलाना मंजूर कर सकता है लेकिन कादियानी नहीं. इसलिए एक सीधे साधे मुसलमान के साथ इससे बड़ा फरेब और कोई हो ही नहीं सकता. जाकिर नाइक अपने इस कारनामे से जिन जिन बुरी बातों के सरताज बने हैं, वे हैं-

शेष अगले भाग मे--

इस्लाम का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है…

यह मेरा कहना नही है किन्तु जब
इस्लाम से सम्बन्धित
ग्रंथो का आध्ययन किया जाये
तो प्रत्यक्ष रूप ये यह बात सामने आ
ही जाती है। कि घूम फिर कर
अल्लाह को खुश करने के लिये जगह पर
आंतक फैलाने और उनके अनुयायियों खुश
करने के लिये सेक्स की बात खुल कर
कही जाती है।
इस्लाम के पवित्र योद्धाओ
(आतंकियो) को यौन-सुखों और
भोगविलास के असामान्य
विशेषाधिकार दिए गए हैं। यदि वे
लड़ाई के मैदान में जीवित रह जाते हैं
तो उनके लिए गैर-
मुसलमानों की स्त्रियाँ रखैलों के रूप
में सुनिश्चित हो जाती हैं। लेकिन
यदि वे युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं
तो वे हूरियों से भरे ‘जन्नत’ के
अत्यन्त विलासिता पूर्ण वातावरण
में निश्चित रूप से प्रवेश के
अधिकारी हो जाते हैं। अल्लाह
को खुश करने के लिये कई जगह
मुर्तिपूजको तथा गैर-
मुसलमानों की संहार योजना में भाग
लेने के बदले में यौन-सुखों के
प्रलोभनों का वायदा किया जाता
है जैसे कि
यदि वह (आतंक फैलाने वाला ) युद्ध
भूमि की कठिन
परिस्थितियों मारा गया तो उसे
‘जन्नत’ में उसकी प्रतीक्षा कर
रहीं अनेक हूरों के साथ असीमित
भोगविलासों एवं यौन-सुखों का आनंद
मिलेगा, और यदि वह जीवित
बचा रहा तो उसको ‘गैर-ईमान
वालों’ के लूट के माल, जिसमें
कि उनकी स्त्रियाँ भी शामिल
होंगी, में हिस्सा मिलेगा।
इन आतंकियो को कितनी अच्छी तरह
से हूरो का लालच दे कर
बरगलाया जा रहा है हदीस
तिरमिज़ी खंड-2 पृ.(35-40) में दिए
गए हूरों के सौंदर्य के वर्णन इस
प्रकार है
•हूर एक अत्यधिक सुंदर
युवा स्त्री होती है जिसका शरीर
पारदर्शी होता है।
उसकी हड्डियों में बहने वाला द्रव्य
इसी प्रकार दिखाई देता है जैसे
रूबी और मोतियों के अंदर की रेखाएँ
दिखती हैं। वह एक पारदर्शी सफेद
गिलास में लाल शराब
की भाँति दिखाई देता है।
•उसका रंग सफेद है, और साधारण
स्त्रियों की तरह शारीरिक
कमियों जैसे मासिक धर्म,
रजोनिवृत्ति, मल व
मूत्रा विसर्जन, गर्भधारण
इत्यादि संबंधित विकारों से मुक्त
होती है।
•प्रत्येक हूर किशोर वय
की कन्या होती है। उसके उरोज
उन्नत, गोल और बडे होते हैं जो झुके
हुए नहीं हैं। हूरें भव्य परिसरों वाले
महलों में रहतीं हैं।
•हूर यदि ‘जन्नत’ में अपने आवास से
पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग
सुगंधित और प्रकाशित हो जाता है।
•हूर का मुख दर्पण से भी अधिाक
चमकदार होता है, तथा उसके गाल में
कोई भी अपना प्रतिबिंब देख
सकता है। उसकी हड्डियों का द्रव्य
ऑंखों से दिखाई देता है।
•प्रत्येक व्यक्ति जो ‘जन्नत’ में
जाता है, उसको 72 हूरें दी जाएँगी।
जब वह ‘जन्नत’ में प्रवेश करता है,
मरते समय उसकी उम्र कुछ भी हो,
वहाँ तीस वर्ष का युवक
हो जाएगा और उसकी आयु आगे
नहीं बढ़ेगी।
अब भई अब जब हूर इतनी खूब
होगीं तो कोई क्यो न अल्लाह के
लिये मरने को तैयार होगा, इन
आतंकियो का यही मकसद होता है
कि घरती पर उनके विलास के लिये
अल्लाह
द्वारा दिया गया मसौदा तो
तैयार ही है और जन्नत में भी हूरे
उनका इन्जार कर रही है। सोने पर
सुहागा
हदीस तिरमिज़ी खंड-2 (पृ.138)
करती है कि ”जन्नत में एक पुरुष
को एक सौ पुरुषों के बराबर
कामशक्ति दी जाएगी”
जैसे जन्नत
में थोक के भाव
वियाग्रा की फैक्ट्री लगी है।

मस्जिद में औरतों पर पाबन्दी क्यों ?


विश्व के जितने भी बड़े धर्म है , सभी में उनके उपासना ग्रहों में पुरुषों के साथ स्त्रियों प्रवेश करने की अनुमति दी गयी है . जसे मंदिरों में अक्सर हिन्दू पुरुष अपनी पत्नियों और माता बहिनों के साथ पूजा और दर्शन के लिए जाते है . गुरुद्वारों में भी पुरुष -स्त्री साथ ही अरदास करते है . और चर्च में भी ऐसा ही होता है ,लेकिन कभी किसी ने इस बात पर गौर किया है कि पुरषों के साथ औरतें दरगाहों में तो जा सकती हैं ,लेकिन मस्जिदों में उनके प्रवेश पर पाबन्दी क्यों है .जबकि इस्लाम पुरुष और स्त्री की समानता का दावा करता है 'इस प्रश्न का उत्तर हमें खुद कुरान और हदीसों से मिल जाता है .जिस पर संक्षिप्त में जानकारी दी जारही है .

1-मस्जिदें आतंकियों का अड्डा हैं
यदि हम विश्व दुसरे देशों के साथ होने वाली इस्लामी जिहादी आतंकी घटनाओं का विश्लेषण करें तो हमें पता चलेगा की जैसे जैसे आतंकवादी अपनी नयी नयी रणनीति बदलते जाते है ,वैसे वैसे ही मस्जिदों की निर्माण शैली में भी परिवर्तन होता रहता है , यदि आप सौ दो साल पहिले की किसी मस्जिद को देखें पाएंगे कि उसमे चारों तरफ ऊंची दीवार , मीनारें , गुम्बद और बीच में पानी का एक हौज होगा , और एक तरफ मिम्बर होगा जिस पर से इमाम खुतबा देता है .
लेकिन आजकल जो मस्जिदें बन रही हैं , उनके साथ दुकानें , रहने के लिए सर्व सुविधा युक्त कमरे और तहखानों के साथ भूमिगत सुरंगे भी बनायीं जाती है . जिस से गुप्त रूप से निकल भागने से आसानी हो .ऐसी ही मस्जिदों के तहखानों में हथियार छुपाये जाते हैं , जो दंगों के समय निकालकर प्रयोग किये जाते है . यही नहीं इन्हीं गुप्त सुरंगोंसे आतंकी आसानी से भाग जाते हैं .जबलपुर दंगों में ऐसी मस्जिदों से हथियार बरामद हुए थे. चूँकि मुसलमान जो भी आतंकी कार्यवाही करते हैं उसकी प्रेरणा कुरान से लेते हैं .और उसी की प्रेरणा से मस्जिदों में हथियार भी छुपाते रहते हैं , जैसे कुरान में कहा है ,

"और लोगों ने मस्जिदें इसलिए बना रखी हैं , कि वहां से लोगों को हानि पहुंचाएं ,और आपस में फूट डालें .और अपने विरोधियों पर घात लगाने की योजनायें बनाने का स्थल बनायें " सूरा - तौबा 9 :107

2-औरतें घर में नमाज क्यों पढ़ें
इसके सिर्फ दो ही कारण हो सकते हैं , एक तो यह की मुहम्मद एक चालाक व्यक्ति था , उसे पता था कि मस्जिदें फसाद जी जड़ होती हैं . और दंगों में अक्सर औरतें ही निशाना बनायीं जाती है . और बलात्कार करना जिहाद का एक प्रमुख हथियार है . मुहम्मद को दर था कि यदि औरतें मस्जिद जाएँगी तो वापसी में खुद मुस्लमान ही उनके साथ बलात्कार कर सकते है , इस लिए उसने यह हदीस सुना दी थी .
"अब्दल्लाह बिन मसूद ने कहा कि रसूल का आदेश है ,औरतों के यही उचित है कि वह यातो अपने घर के आँगन में नमाज पढ़ें , या घर के इसी एकांत कमरे में नमाज पढ़ा करें " सुन्नन अबू दाउद-जिल्द 1 किताब 204 हदीस 570

3-औरतों की बुद्धि अधूरी होती है
दूसरा कारण यह है कि मुहम्मद की सभी औरतें मुर्ख और अनपढ़ थीं , उसी कि नक़ल करके मुसलमान औरतों को शिक्षा देने के घोर विरोधी है , उनको डर लगा रहता है कि अगर औरतें पढ़ जाएँगी तो इस्लाम कि पोल खुल जाएगी .अक्सर जब औरतें पकड़ी जाती है तो वह जल्दी से राज उगल देती है .इसलिए अक्सर मुसलमान गैर मुस्लिम लड़की को फसाते है
" सईदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने कहा है औरतों दर्जा पुरुषों से आधा होता है ,क्योंकि उनकी बुद्धि पुरुषों से आधी होती है "बुखारी -जिल्द 3 किताब 48 हदीस 826

4-औरतें चुगलखोर होती हैं

दुनिया के सारे मुसलमान किसी न किसी अपराध में संलग्न रहते हैं . और मस्जिदों के इमाम बुखारी जैसे मुल्ले उनको उकसाते रहते हैं . सब जानते है कि अक्सर औरतें अपने दिल कि बातों को देर तक नहीं छुपा सकती है ,जिस से मुसलमानों को पकडे जाने का खतरा बना रहता है .इसलिए वह औरतों को मस्जिदों में नहीं जाने देते हैं
"सईदुल खुदरी ने कहा कि एक बार जब रसूल नमाज पढ़ चुके और मुसल्ला उठा कर एक खुतबा ( व्याख्यान ) सुनाया और कहा मैंने आज तक औरतों से अधिक बुद्धि में कमजोर किसी को नहीं देखा . क्योंकि उनके पेटों में कोई बात नहीं पचती है .यानि वह गुप्त बातें उगल देती हैं "बुखारी -जिल्द 2 किताब 24 हदीस 54
इसी विषय में जकारिया नायक ने बड़ी मक्कारी से कहा है कि केवल भारत में औरतों को मस्जिद में जाने पर पाबन्दी है . और दुसरे इस्लामी देशों में ऐसा नहीं है . लेकिन वास्तविकता तो यह्हाई कि जहाँ मुस्लिम औरतें जिहाद करती हैं उन देशों में औरतें मस्जिद में जा सकती है , और जब भारत में भी मुस्लिम आतंकी औरतों की संख्या अधिक हो जाएगी , यहाँ भी औरतें मस्जिदों में जाने लगेंगी . क्योंकि फिर छुपाने की कोई बात नहीं रहेगी

कुछ दिन पूर्व हमारे प्रबुद्ध मित्र ने पूछा था कि औरतों को मस्जिदों में प्रवेश करने पर पाबन्दी क्यों है . इसलिए जल्दी में कुरान और हदीस के आधार पर उनके प्रश्न का उत्तर दिया जा रहा है . मुझे पूरा विश्वास है कि इस लेख को पढ़कर सभी लोग स्वीकार करेंगे कि मस्जिदें ही आतंकवादियों की शरणस्थल हैं . और वहीं से जिहाद की शिक्षा दी जाती है .

-http://www.wikiislam.net/wiki/Women_are_Deficient_in_Intelligence

मुस्लिम्स के लिए दो बच्चों का कड़ा कानून क्यों ?


मित्रों कई विकसित देशों के बाद जैसे चाइना, जापान और अब बर्मा सरकार ने भी अपने यहाँ पर भी मुस्लिम्स के लिए दो बच्चों का कड़ा कानून बना दिया है,
इस कानून के तहत यदि कोई दो बच्चों के बाद बच्चे पैदा करता है, तो वहाँ की सरकार उनको मार सकती है और ये लीगल होता है और जिस पर कोई भी क़ानूनी सजा नहीं बनती क्योंकि उस तीसरे बच्चे या उससे ऊपर के बच्चों का कहीं भी कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं होता जिससे वो बच्चा अवैध माना जाता है,,,,

इसलिए उसकी मौत पर कोई क़ानूनी सजा नहीं होती, (जिन देशों में दो बच्चों का कानून है हर जगह ये सजा ना होने वाली बात समान रूप से लागू होती है)
इस कानून को म्यांमार की नेता विपक्ष और नोबल शांति पुरस्कार विजेता आनसान सुकी ने भी अपना जबरदस्त समर्थन दिया है ...!

ये कानून भले ही कुछ मुसलामनो को अपने विरोध में लगे मगर आज मुसलमान समाज सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ है, तो उसका एक सबसे बड़ा कारण है जिसे मैं अनपढ़ता से भी ज्यादा जिम्मेदार समझता हूँ तो वो है, एक मुसलमान द्वारा दर्जनों बच्चे पैदा करना, क्योंकि एक बाप अपने दो या तीन बच्चों को तो अच्छा- २ खिला सकता है वा उनकी अच्छी परवरिश या उनको अच्छे से पढ़ा सकता है, मगर यदि दर्जन भर से ज्यादा बच्चे होंगे तो पढाना और परवरिश तो छोडो एक गरीब बाप उनको एक समय की रोटी भी नहीं खिला सकता.. और फिर ऐसे बच्चों का भविष्य क्या होगा जिन्होंने कभी पढाई नहीं की और जिंदगी भर सिर्फ तंगी देखी ?

ऐसे बच्चों को फिर बाद में आराम से बरगला कर या पैसा दिखाकर आंतकवाद की राह पर धकेल दिया जाता है..
कुछ मौलवियों द्वारा मुसलमानों के कान भरे जाते हैं कि जितने ज्यादा हो सकें बच्चे पैदा करो,. बच्चों को पैदा होने से रोकना अल्ला की राह में एक सिर्क है (गलत काम) पर क्या मुसलमान कभी उन मौलवियों ये पूछते हैं हैं कि दर्जन भर बच्चे पैदा करने के बाद क्या तुम हमारे बच्चों को रोटी खिलाओगे या अल्लाताला ऊपर से नीचे आएँगे बच्चों को रोटियाँ खिलाने ?

कुछ ये भी कहते हैं कि जितने ज्यादा बच्चे होंगे उतनी जल्दी ही इस्लाम धरती पर राज करेगा, अरे राज तो बाद की बात है पर पहले जो पैदा हो रहे हैं कम से कम उनके लिए तो दो वक्त की रोटी वा तन ढकने को कपड़े का जुगाड कर लो, खाली पेट और नंगे बदन भी कभी राज होता है क्या ??

आज दुनिया में सिख और पारसी सब से कम संख्या वाले धर्म हैं, पर कभी देखा है इन लोगों को दर्जन भर बच्चे सिर्फ इसलिए पैदा करते हुए कि हमारा धर्म भी जल्दी दुनिया पर राज करेगा ? संख्या में कम हैं फिर भी पैसे और बुद्धि के मामले में दुनिया में सबसे आगे हैं,

और मुसलमानों में आंतकवाद का सबसे बड़ा कारण मैं जनसंख्या बढोतरी, बेरोजगारी, गरीबी और भूखको सबसे बड़ा कारण मानता हूँ, क्योंकि जब आप सबसे पीछे होंगे और दुनिया आपसे आगे होगी तब आपको यही लगेगा कि दुनिया हम को दबा रही है और हमको कुचल कर आगे निकल रही है, जिस कुंठा के फलस्वरूप आंतकवाद होना लाजमी है..

तो बस अपने मुस्लिम मित्रों से यही आग्रह है कि इस कानून को अपने विरोध में कतई ना लें, यदि बर्मा ने ऐसा कानून पास किया है, तो कहीं ना कहीं इससे मुसलमानों का भला ही होगा,

आशा है कि मुस्लिम मित्रों को मेरा ये पोस्ट गलत नहीं लगा होगा, और वे मेरे इस पोस्ट या बर्मा में लागू किए गए कानून को अपने विरोध में नहीं समझेंगे...

http://m.indianexpress.com/news/myanmar-introduces-child-limit-for-rohingya-muslims/1120532/

जय हिंद, जय भारत, वन्देमातरम...
साभार : महावीर प्रसाद खिलेरी