Monday, October 28, 2013

गजवा-ए-हिन्द

गजवा-ए-हिन्द (इस्लाम का भारत विजय) की तैयारी जोरो पर : 

मिडिया हिन्दुओ का ध्यान बाटने में लगी है जिससे इनको सेकुलर 

का चोला पहनाया जा सके. 




पहले तो यह जाने की गजवा-ए-हिन्द का मतलब क्या है, काफिरों को जीतने के लिए किये जाने वाले युद्ध को “गजवा” कहते हैं और जो इस युद्ध में विजयी रहता है उसे “गाजी” कहते हैं, जिस भी आक्रान्ता और अक्रमंनकारी के नाम के सामने गाजी लगा हो या जिसे गाजी की उपाधि दी गयी हो निश्चय हो वह हिन्दुओ का व्यापक नर संहार करके इस्लाम के फैलाव में लगा था. हम हिन्दुओ की सबसे बड़ी कमजोरी है की हम धर्म के बारे में बहुत कम जानते हैं और और अपने को सेकुलर कहते है और सेकुलर का मतलब भी नहीं जानते. एक मुस्लिम अपने को कभी भी सेकुलर नहीं कहता है चाहे वह नेता हो या आम नागरिक , हां, वह हिन्दू भीड़ में सेकुलर का भाषण जरुर देता है. ११ साल पहले एक जानकर मुस्लिम ने बताया था की हमारे लडाके इस तरह तैयार किये जा रहे हैं की उन्हें पुलिस और फ़ौज से मुकाबला करना है, आम गैर मुस्लिमो पर हम ऐसी ही भारी पड़ेंगे, अब मुझे वे बाते सच लग रही हैं और उनका प्लान भी.

गजवा-ए-हिन्द का मतलब है की भारत में सभी गैर मुस्लिमो पर इस्लामिक शरिया कानून लागु करना जिसके लिए या तो इनको मारकर ख़तम कर दो या इनको इस्लाम स्वीकार कराओ या उन्हें तब तक जिन्दा रखो जब तक अपनी कमाई का एक हिस्सा “जजिया कर” के रूप में इस्लामिक सरकार को देते रहे जैसा मुग़ल करते रहे. भारत में यह एक बार हो चूका है हलाकि यह तुकडे तुकडे में हुआ जिसका परिणाम यह हुआ की अरबो रुपये से बनाई गयी सभी धार्मिक और राजसी हिन्दू इमारते और पूजा स्थल मुस्लिमो ने कब्जे कर लिए और उन्हें अपना बनाकर रख लिया जिसका सबसे बड़ा उदाहरन “ताजमहल” है जो एक शिवमंदिर है. डॉ.स्वामी जल्दी ही इसपर कोर्ट में जाने वाले हैं.

गजवा-ए-हिन्द के ७ मुख्य प्रक्रिया स्तर होते हैं---

१- अल-तकिय्या : यह वह अवस्था है जब मुस्लिम कमजोर या कम संख्या में होता है, इस स्थिति में काफिरों (गैर-मुस्लिमो) से झूठ बोलना और उन्हें धोखा देना जायज माना जाता है. यह अवस्था अपने को अंदरूनी तौर से मजबूत रखना और काफिरों से अपनी अंदरूनी जानकारियों से देय रखना. जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा, राजीब का असली धर्म आज भी किसी को नहीं पता है.

२-काफिरों के मन में भय भरना : इस काम के लिए काफिरों पर धोखे से हमला करना और उनकी हत्या करना, झुण्ड बनाकर किसी एक जगह पर काफिरों (गैर मुस्लिमो) पर हमले करना, जो पिछले ३-४ साल से भारत में जारी है. ट्रको और गाडियों में भरकर किसी एक जगह पर हिन्दुओ को हड़काना सेकुलर सरकारों में कब से चल रहा है.

3 हथियारों का जखीरा इकठ्ठा करना : यह काम बहुत ही निर्णायक होता है और इसमें धर्म युद्ध जैसे कोई नियम नहीं होते. काफ़िर को जितनी पीड़ा दायक मृत्यु दी जाये दुसरे काफ़िर को दिखाकर वह सबसे ज्यादा प्रभावी होता है. हथियार इकठ्ठा करने का काम “अदनान खगोसी और उसके बाद बहुत से मुस्लिम तस्कर” पिछले ४० साल से कर रहे हैं. सबसे ज्यादा हथियार सोवियत संघ से मुस्लिम देशो के टूटने के बाद भारत में लाये गए, अनुमान के अनुसार पूर्व सोवियत देशो से १ करोड़ AK-47 गायब हुए उनका कोई पता नहीं है ये हथियार मुख्यतः भारत-अफगानिस्तान-पाकिस्तान गए.

4 समय समय पर काफिरों की ताकत का अनदाज़ा करना : इसके लिए दंगो का सहारा लेकर अपने आक्रमणों का काफिरों की तरफ से प्रतिरोध आंकना जो बहुत दिनों से चल रहा है और इसका ताजा उदाहरन जम्मू के किस्तवार में देखने को मिला.

5 ठिकाने या शिविर बनाना : इस काम के लिए धर्म का सहारा और दुसरे धर्म पर इस्लाम को सच्चा धर्म बताकर लोगो को आस्थावान बनाकर किया जाता है जिससे लोग मुस्लिमो पर विश्वास करे और उन पर शक न करे. इसके लिए बस्ती और मस्जिद को इस्तेमाल किया जाता है जहा पर लोगो को इकठा करना और हथियार रखना और भीड़ को भड़काकर काफिरों का उस खित्ते में सफाया कर देना. गतिविधि वाले शिविर इलाके में किसी न किसी बहाने सभी काफिरों को भगाना जरुरी होता है जिससे सवेदनशील सुचनाये काफिरों को लीक न हो जाये क्योकि इस्लाम की असली ताकत “अल-तकिय्या” ही है.

6 सरकारी सुरक्षा तंत्र को कंमजोर करना : इस काम में तो खुद सरकारे शामिल हैं, हर शुक्रवार को नमाज के बाद पुलिस की पिटाई उनके मनोबल को तोड़कर पुरे तंत्र को कमजोर करने का हिस्सा है जो जोर शोर से चल रहा है. असल में सेकुलर सरकारे खुद इस काम को पता नहीं किस वजह से समर्थन दे रही है. जिस फौजी के पास १२०० गज कारगर रेंज की असाल्ट रायफल है, वह इन जेहादियों पर गुलेल चला रहा है. इशरत जहा और सोहराबुद्दीन केस इसी का भाग है जो इस्लामिक शक्तियों के इशारे पर हो रहे हैं. सेना की संख्या कम रखना, उनके पास साधनों का अभाव, उनके ऊपर क़ानूनी शिकंजा, नौकरी को मजबूरी बनाना यह इसी का हिस्सा है की व्यापक दंगे की स्थिति में जिसमे मशीन गन और ग्रेनेड प्रयोग किये जाये, सेना का काम सिर्फ कर्फ्यू लगाने तक ही सिमित रहे. 

7 व्यापक दंगे : यह गजवा-ए-हिन्द का अंतिम पड़ाव है जिसमे बहुत कम समय में ज्यादा से ज्यादा काफ़िर या गैर मुस्लिम मर्दों को मौत के घाट उतरना और उनके प्रतिरोध को कम कर देना. इस काम के लिए जेहादी लड़को से मरने पर युवा जेहादियों को ७२ सुन्दर जवान हूर मिलने की बात की जाती है और जीत गए तो जवान काफ़िर महिलाओं के साथ सहवास का अनंत मौका. यही अंतहीन सिलसिला पिछले १४०० सालो से चल रहा है. पहले भारत में सनातनी जड़े गहरी थी जिससे बार बार सनातन-हिदूत्व पनप सका लेकिन आज के दिन झूठे इतिहास और गलत पढाई तथा चर्च-अरब नियत्रित टीवी / मिडिया ने हिंदुत्व का बेडा गर्क कर रखा है उस पर यह हिन्दू विरोधी सरकारे हर वह काम कर रही है जो हिंदुत्व को खतम करने के लिए जरुरी है.

गजवा-ए-हिन्द के यह प्रक्रिया कश्मीर में जमाई जा चुकी है जो १००% सफल है, जम्मू में इसका ट्रायल चल रहा है. बिच में इसाइयत के खेल ने इसे कमजोर किया लेकिन अब दुबारा इसने गति पकड़ी थी और इसमे सबसे बड़ा रोड़ा जानकारी बाटने के रूप में फेसबुक आ चूका है लेकिन फिर भी तस्करी के हथियार तो आ ही चुके है,

कितने सेकुलर इस बात से सहमत हैं......शेयर करे...

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