Monday, October 28, 2013

क्या आप जानते हैं कि जिहाद क्या है...?



क्योंकि.... आज लगभग सारा विश्व आतंकवाद से पीड़ित है और.... पूरी दुनिया में आतंकवादियों द्वारा जिहाद के नाम पर बेगुनाहों का खून बहाया जा रहा है.....!

लेकिन बहुत दुखद तौर पर.... इन आतंकवादी घटनाओं को ""कुछ बहके हुए युवकों "" का काम बता दिया जाता है...... जबकि, आतंकवादी खुलेआम डंके की चोट पर कहते हैं कि..... उन्हें गर्व है कि.... उन्होंने जिहाद में हिस्सा लिया ...!

इसीलिए हमें यह जानना बेहद जरुरी हो जाता है कि..... आखिर जिहाद है क्या....????

दरअसल.... जिस किसी भी..... गैरमुस्लिम देशों के किसी एक क्षेत्र में मुस्लिम बहुसंख्या है, वे क्षेत्र गैरमुस्लिम देश से अलग होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ।

उदाहरण के लिए..... पुराने यूगोस्लाविया के भीतर से बोस्निया और कोसावो का जन्म भारी खून-खराबे के साथ हुआ......!

और.... सोवियत रूस के विघटन में से भी मध्य एशिया में ६ मुस्लिम राज्य प्रगट हुए....।
यहाँ तक कि..... मुस्लिमबहुल चेचन्या गैरमुस्लिम रूस से मुक्ति के लिए खूनी जिहाद चला रहा है... और, फिलिपीन्स का खूनी मुस्लिमबहुल दक्षिणी भाग लम्बे समय से जिहाद में लिप्त है।

यहाँ तक कि..... चीन का सिंक्यांग प्रदेश मुस्लिम बहुल होने के कारण अशांति का गढ़ बना हुआ है।

और फिर दूर कहाँ जाएँ.......अपने ही देश भारत में कश्मीर में क्या हो रहा है......?????

1990 से वहां के मुस्लिम बहुमत ने.... निजामे मुस्तफा अर्थात् इस्लामी शासन की स्थापना के लिए..... सहस्राब्दियों से कश्मीर के मूल हिन्दू निवासियों को..... बिना किसी उत्तेजना और अपराध के खूनी कत्लेआम के द्वारा अपनी मातृभूमि छोड़ने के लिए विवश कर दिया है और वे अपने ही देश में हिन्दू सरकारों के होते हुए भी शरणार्थी बनकर भटक रहे हौं।

ये चेहरा तो था ..... गैर इस्लामिक देशों का........

लेकिन..... जिहाद का एक दूसरा चेहरा भी है..... जो मुस्लिम राज्या के भीतर दिखाई दे रहा है।

प्रत्येक मुस्लिम देश के भीतर ... जिहादी.....अपनी ही मुस्लिम सरकार के विरुद्ध चरमपंथी मुस्लिम आंदोलन चल रहे हैं .....चाहे वह अल्जीरिया हो या मिस्र, चाहे ईरान हो या तुर्की या फिर अफगानिस्तान अथवा पाकिस्तान।

असल में...... चरमपंथियों की मांग है कि उनके देश में शरीयत के आधार पर शासन चलाया जाना चाहिए......।

और...... शरीयत का अर्थ है -कुरान, हदीस और सुन्ना पर आधारित शासन व्यवस्था।

इस शासन व्यवस्था का नमूना हमें सउदी अरब में देखने को मिल सकता है या कुछ वर्ष पूर्व अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने बामियान में दो हजार साल से खड़ी बुद्ध प्रतिमाओं का ध्वंस करके प्रस्तत किया था। उन प्रतिमाओं को तोड़ने का कोई तात्कालिक कारण न होते हुए भी तालिबान शासकों को उनका विध्वंस आवश्यक लगा, क्याकि शरीयत की दृष्टि से देव प्रतिमाओं का अस्तित्व कुफ्र है और कुफ्र को मिटाना सच्चे इस्लाम का कर्तव्य है।

शरियत कानून होने के कारण ......सउदी अरब में अन्य धर्मावलिम्बयों को अपनी धार्मिक श्रद्धाओं और प्रतीकों की सार्वजनिक अभिव्यिक्त की छूट नहीं है और वहां के नागरिकों से शरीयत का कड़ाई से पालन कराने के लिए मुताबा नामक नैतिक पुलिस की आंखें और डंडा हर जगह मौजूद है।

शरीयत के प्रति इस अंधश्रद्धा ने पूरे विश्व को मुस्लिम और गैर-मुस्लिम में विभाजित कर दिया है... और..... इसी को शरीयत की भाषा में ""मोमिन बनाम काफिर"" या जिम्मी कहा जाता है।

और...... इसी विभाजन में से राजनीतिक धरातल पर 'दारुल हरब' और 'दारुल इस्लाम' की अवधारणा पैदा हुई.. इसके तहत प्रत्येक दारुल हरब को दारुल इस्लाम में परिणत करना प्रत्येक मुसलमान का पवित्र कर्तव्य है।

दारुल हरब को दारुल इस्लाम में परिणत करने का प्रयास को ही........"""" जिहाद"""" कहा जाता है...।

इस तरह..... जिहादी तीन स्तरों पर काम करता है।

एक है..... स्वयं को सच्चा मुसलमान बनाना अर्थात् शरीयत के सांचे में ढालना।

दूसरा है...... काफिरों को इस्लाम कबूल करने के लिए प्रेरित या विवश करना..!

और, तीसरा है .......काफिरों या जिम्मियों के मजहबी युद्ध लड़ना.... और, उन्हें इस्लाम के सामने पराजय स्वीकार करने के लिए मजबूर करना।

अब यही विचारधारा ......... कहीं भी मुसलमानों को गैर मुसलमानों के साथ शांति और सौहार्द के साथ जीने नहीं देती... क्योंकि... मुस्लिम अस्मिता की रक्षा के लिए उसका मत परिवर्तन या विनाश पुण्य कर्म है।

और..... यह जुनून मुस्लिम युवकों में इतना गहरा व्याप्त है कि उसमें से सैकड़ों की संख्या में फिदायीन या आत्मघाती युवक पैदा हो रहे हैं....।

हालाँकि.....किसी बड़े उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की बलि देने के लिए तैयार रहना बहुत ही ऊँची स्थिति और वन्दनीय है... किन्तु बिना कारण के निर्दोष स्त्री-बच्चा की हत्या केवल इसलिए कर देना ... क्योंकि.... वे गैरमुस्लिम या काफिर हैं , यह कौन सा पुण्य कर्म है..... ?????

और , इसके लिए आत्महत्या को कैसे वन्दनीय माना जाए..?????

दरअसल..... ऐसा तर्कहीन जनून केवल अंध श्रद्धा में से ही पैदा हो सकता है... और, कुरान और हदीस के प्रति अंधश्रद्धा में से ही यह जनून पैदा हो रहा है.. जिसमे गाजी बनना बड़ा पुण्य का काम माना गया है।

कुरान और हदीस के प्रति यह अंध श्रद्धा ही ....... दूसरों के श्रद्धा केन्द्रा को ध्वस्त करने की, गैरमुस्लिम शासित प्रदेश से मुस्लिम शासित क्षेत्र में हिजरत (निष्क्रमण) करने और गैर-मुस्लिमों के विरुद्ध लगातार सशस्त्र युद्ध करने की प्रेरणा देती है।

क्योंकि....पैगम्बर मुहम्मद का स्वयं का जीवन प्रत्येक मुस्लिम के लिए प्रमाण है... जिन्होंने मक्का से मदीना को हिजरत का पहला उदाहरण प्रस्तत किया।

सबसे पहले.... मुहम्मद ने ही जीवनभर गैर-मुस्लिमों के विरुद्ध युद्ध लड़ने का खूनी अध्याय लिखा और उन्हाने ही सन् ६३० में मक्का पर अधिकार स्थापित होने के बाद बिना कारण काबा में स्थापित ३६० देव प्रतिमाओं का अपने हाथों विध्वंस कर ...... खूनी जिहाद की शुरुआत की थी...!

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